New Delhi : भारत की विदेश नीति एक बार फिर वैश्विक चर्चाओं में है। रूस और यूक्रेन के राष्ट्रपतियों — व्लादिमीर पुतिन और वोलोदिमिर जेलेंस्की — के संभावित भारत दौरे को लेकर नई कूटनीतिक हलचल तेज हो गई है। ऐसे समय में जब अमेरिका ने रूस से भारत की तेल खरीद पर आपत्ति जताते हुए टैरिफ में इज़ाफा कर दिया है, यह खबर वाशिंगटन की बेचैनी और बढ़ा सकती है।
यूक्रेन के राष्ट्रपति को भारत का न्योता
दिल्ली में यूक्रेन के स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर ऐतिहासिक कुतुब मीनार को यूक्रेन के राष्ट्रीय रंग में रोशन किया गया। इसी मौके पर भारत में यूक्रेन के राजदूत ओलेक्सांद्र पोलिशचुक ने खुलासा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की को भारत आने का न्योता दिया है। उन्होंने कहा कि यात्रा की तारीख तय करने पर काम चल रहा है और यह दोनों देशों की रणनीतिक साझेदारी को एक नई ऊंचाई देगा।
रूस के राष्ट्रपति पुतिन भी आएंगे भारत
वहीं, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भी इस साल के अंत तक भारत आने की पुष्टि हो चुकी है। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने पहले ही इस दौरे की जानकारी दी है। पुतिन की यात्रा से भारत और रूस के ऊर्जा, रक्षा और तकनीकी क्षेत्रों में सहयोग और भी गहरा होने की उम्मीद है।
अमेरिका की नाराजगी और टैरिफ में इजाफा
इन घटनाक्रमों के बीच अमेरिका की चिंता बढ़ गई है। पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस से भारत की बढ़ती तेल खरीद पर नाराजगी जताते हुए भारत से आयात होने वाले उत्पादों पर टैरिफ 50% तक बढ़ा दिया है। भारत के रूस और यूक्रेन दोनों के साथ संतुलित संबंध अमेरिका की रणनीति को चुनौती दे सकते हैं।
भारत की भूमिका वैश्विक मंच पर मजबूत
विश्लेषकों का मानना है कि अगर पुतिन और जेलेंस्की दोनों भारत का दौरा करते हैं, तो यह एशियाई भू-राजनीति में भारत की बढ़ती कूटनीतिक ताकत का स्पष्ट संकेत होगा। भारत खुद को एक तटस्थ लेकिन प्रभावशाली वैश्विक खिलाड़ी के रूप में स्थापित करना चाहता है, जो पश्चिम और पूर्व दोनों के साथ संवाद बनाए रखने में सक्षम है।
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