Ranchi : झारखंड मुक्ति मोर्चा ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवं नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी के आरोपों को नकारते हुए कहा है कि वे तथ्यों से परे और भ्रामक बयान देकर जनता को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं। झामुमो महासचिव विनोद पांडेय ने कहा कि हेमंत सोरेन सरकार ने बालू घाटों के प्रबंधन और नीलामी के लिए जो नई नियमावली बनाई है, उसका मकसद पारदर्शिता और अवैध उत्खनन पर रोक लगाना है। भाजपा शासन में वर्षों तक बालू माफिया बेखौफ सक्रिय रहे, तब बाबूलाल मरांडी ने चुप्पी साधे रखी थी। अब जब सरकार ने व्यवस्थित व्यवस्था बनाई, तो उन्हें गरीब, आदिवासी और युवाओं की अचानक चिंता होने लगी।
पांडेय ने कहा कि पेसा कानून लागू करने और ग्राम सभा को अधिकार देने के प्रति हेमंत सरकार की प्रतिबद्धता अटूट है। लेकिन प्राकृतिक संसाधनों के दोहन में पारदर्शिता और पर्यावरणीय मानकों का पालन सुनिश्चित करना भी समान रूप से जरूरी है। नई नीति में समूह आधारित नीलामी से भ्रष्टाचार और बंदरबांट की संभावना खत्म होगी और राजस्व बढ़ेगा, जिससे गांवों के विकास और युवाओं के लिए रोजगार सृजन पर खर्च हो सकेगा।
उन्होंने कहा कि भाजपा नेताओं को यह स्वीकार करना चाहिए कि उनकी पिछली सरकारों के समय बालू घाटों से होने वाली अवैध कमाई ने ही दलालों और माफियाओं को पनपने दिया। हेमंत सरकार ने ऐसी प्रवृत्तियों पर लगाम कसने के लिए कड़े प्रावधान किए हैं। आईएएस अधिकारियों का नाम घसीटना मरांडी जी की हताशा को दिखाता है।
झामुमो ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार हर वर्ग के हित में काम कर रही है और बालू घाटों के अधिकार ग्राम सभा के साथ-साथ राज्य के कानूनी ढांचे के तहत ही निर्धारित होंगे। बाबूलाल मरांडी निराधार आरोपों के बजाय राज्य के विकास में रचनात्मक सुझाव दें।
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