Patna : बिहार में आज विपक्षी इंडिया गठबंधन ने ‘बिहार बंद’ का आह्वान किया, जिसका उद्देश्य राज्य में चल रही मतदाता सूची की विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया का विरोध करना था। पटना समेत राज्य के कई जिलों में बंद के दौरान प्रदर्शन हुए, जिसमें कांग्रेस नेता राहुल गांधी और राजद नेता तेजस्वी यादव ने सक्रिय भागीदारी की। दूसरी ओर, BJP सांसद रविशंकर प्रसाद ने विपक्ष पर गंभीर आरोप लगाते हुए इस विरोध को राजनीति से प्रेरित बताया।
रविशंकर प्रसाद का पलटवार
BJP सांसद रविशंकर प्रसाद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में विपक्ष के विरोध पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “जो जहां रहता है, उसे वहीं से वोट देना चाहिए। विपक्ष ऐसे लोगों के नाम मतदाता सूची में रखना चाहता है, जिनका वहां से कोई लेना-देना नहीं। क्या वे रोहिंग्या या घुसपैठियों के नाम सूची में चाहते हैं?” प्रसाद ने यह भी पूछा कि अगर मतदाता सूची की समीक्षा निष्पक्षता से हो रही है, तो विपक्ष को क्या आपत्ति है? उन्होंने राहुल और तेजस्वी के प्रदर्शन पर तंज कसते हुए कहा, “क्या यह सुप्रीम कोर्ट पर दबाव बनाने की कोशिश है, क्योंकि कल इस मामले की सुनवाई होनी है?”
विपक्ष का विरोध और राहुल-तेजस्वी का हमला
पटना में ‘बिहार बंद’ के दौरान राहुल गांधी ने BJP पर निशाना साधते हुए कहा, “महाराष्ट्र में जिस तरह चुनाव में धांधली हुई, वैसी ही साजिश बिहार में रची जा रही है। यह गरीबों, दलितों और पिछड़ों के वोट छीनने की कोशिश है।” वहीं, तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग को ‘गोदी आयोग’ करार देते हुए आरोप लगाया कि “मोदी, अमित शाह और नीतीश कुमार के इशारे पर गरीबों के नाम मतदाता सूची से हटाए जा रहे हैं।” उन्होंने कहा कि NDA को अपनी हार दिख रही है, इसलिए वह चुनाव आयोग का दुरुपयोग कर रहा है।
क्या है SIR और क्यों विवाद?
चुनाव आयोग ने 24 जून 2025 को बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) का आदेश जारी किया था। इसका उद्देश्य अपात्र नामों को हटाना और केवल योग्य नागरिकों को सूची में शामिल करना है। आयोग के अनुसार, शहरीकरण, प्रवास, मृत्यु की गैर-रिपोर्टिंग और अवैध प्रवासियों के नाम शामिल होने की आशंका के कारण यह कदम जरूरी है। इस प्रक्रिया में बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) घर-घर जाकर 7.9 करोड़ मतदाताओं की जांच कर रहे हैं। मसौदा सूची 1 अगस्त को और अंतिम सूची 30 सितंबर को प्रकाशित होगी।
विपक्ष का आरोप है कि यह प्रक्रिया इतने कम समय में पूरी नहीं हो सकती और इससे गरीब, दलित, आदिवासी और प्रवासी मजदूरों के नाम सूची से हट सकते हैं। कांग्रेस ने इसे ‘वोटबंदी’ करार देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।
चुनाव आयोग का स्पष्टीकरण
चुनाव आयोग ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि प्रक्रिया में कोई बदलाव नहीं किया गया है। बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी विनोद सिंह गुंजियाल ने कहा, “26 जुलाई तक गणना फॉर्म जमा करने वालों का नाम मसौदा सूची में शामिल होगा। दस्तावेज बाद में भी जमा किए जा सकते हैं।” आयोग ने संविधान के अनुच्छेद 326 का हवाला देते हुए इसे अपना कर्तव्य बताया।
आगे क्या?
विपक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में इस प्रक्रिया को चुनौती दी है, जिसकी सुनवाई 10 जुलाई को होनी है। इंडिया गठबंधन ने इसे जनता की अदालत में भी ले जाने का फैसला किया है। दूसरी ओर, BJP और एनडीए ने इस प्रक्रिया का समर्थन करते हुए विपक्ष पर अपनी हार का बहाना ढूंढने का आरोप लगाया।
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