Johar Live Desk : देशभर में आज यानी गुरुवार को भाई दूज का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। यह त्योहार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है, जो भाई-बहन के अटूट प्रेम और स्नेह का प्रतीक है। रक्षाबंधन की तरह यह पर्व भी भाई-बहन के रिश्ते को और मजबूत करता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाकर उनकी लंबी उम्र, सुख और समृद्धि की कामना करती हैं। भाई दूज के साथ ही दीपावली का पांच दिवसीय उत्सव भी समाप्त हो जाता है।
भाई दूज 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त
इस साल भाई दूज 23 अक्तूबर को मनाया जा रहा है। द्वितीया तिथि 22 अक्तूबर की रात 8:17 बजे शुरू होगी और 23 अक्तूबर की रात 10:47 बजे खत्म होगी। हिंदू धर्म में उदया तिथि के आधार पर त्योहार मनाए जाते हैं, इसलिए भाई दूज 23 अक्तूबर को मनाया जाएगा। तिलक और पूजा के लिए शुभ मुहूर्त दोपहर 12:05 बजे से 2:54 बजे तक है, जिसमें अमृत चौघड़िया दोपहर 1:30 बजे से 2:54 बजे तक रहेगा। शास्त्रों के अनुसार, इस समय तिलक और पूजा करना सबसे फलदायी माना जाता है।
भाई दूज की पूजा विधि
- शुभ मुहूर्त में पूजा शुरू करें।
- भाई को पूर्व दिशा में और बहन को पश्चिम दिशा में बैठाएं।
- भाई को साफ आसन पर बिठाकर उनके माथे पर तिलक लगाएं। छोटे भाई को अंगूठे से और बड़े भाई को अनामिका से तिलक करें।
- तिलक दीपशिखा के आकार में लगाएं और भाई की गोद में नारियल रखें।
- भाई को अपने हाथों से भोजन कराएं और बाद में भाई बहन को उपहार या वस्त्र भेंट करे।
- इस दौरान मंत्र ‘गंगा पूजा यमुना को, यमी पूजे यमराज को। सुभद्रा पूजे कृष्ण को गंगा यमुना नीर बहे मेरे भाई आप बढ़ें फूले फलें’ का उच्चारण करें।
भाई दूज की थाली में क्या रखें?
- रोली और चावल
- दीया, मिठाई, कलावा
- फूल, पान का पत्ता, सुपारी
- नारियल और गंगाजल
भाई दूज की पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, सूर्य देव और उनकी पत्नी छाया की दो संतानें यमराज और यमुना थीं। यमुना अपने भाई यमराज से बहुत प्रेम करती थीं और चाहती थीं कि वे उनके घर आएं। एक बार कार्तिक शुक्ल द्वितीया को यमराज अचानक यमुना के घर पहुंचे। यमुना ने उनका स्वागत किया, तिलक लगाया और भोजन कराया। प्रसन्न होकर यमराज ने यमुना से वर मांगने को कहा। यमुना ने वर मांगा कि हर साल इस दिन वे उनके घर आएं और जो बहन अपने भाई को तिलक कर भोजन कराए, उसके भाई को लंबी उम्र मिले और यमलोक का भय न रहे। यमराज ने यह वरदान दे दिया, और तभी से भाई दूज की परंपरा शुरू हुई।

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