Ranchi : 12वें राष्ट्रीय हस्तकरघा दिवस के मौके पर रांची के डोरंडा कॉलेज में एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर झारखंड के राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने समारोह को संबोधित करते हुए हस्तकरघा क्षेत्र को आत्मनिर्भर भारत की बुनियाद बताया।
उन्होंने कहा कि हस्तकरघा केवल एक कला नहीं, बल्कि हमारी सभ्यता, संस्कृति और परंपरा का जीवंत प्रतीक है। हर धागा और हर बुनाई हमारी लोक-कथाओं और रीति-रिवाजों को दर्शाती है।
राज्यपाल ने प्रधानमंत्री के ‘वोकल फॉर लोकल’ और ‘हैंडलूम फॉर होम’ अभियानों का उल्लेख करते हुए कहा कि इन पहलों ने स्वदेशी वस्त्रों के प्रति लोगों के सम्मान को और बढ़ाया है। अपने पूर्व अनुभवों को साझा करते हुए राज्यपाल ने कहा कि जब वे वस्त्र मंत्रालय में थे, तब उन्होंने देशभर के बुनकरों की समस्याओं को नजदीक से समझा और उनके सशक्तिकरण के लिए कार्य किया।
राज्यपाल ने झारखंड की पारंपरिक हस्तकरघा विधाओं जैसे तसर रेशम और कत्था कढ़ाई की भी सराहना की और कहा कि इनकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान बनी हुई है। उन्होंने “संगठन से सफलता” और “फैशन के लिए खादी” जैसी फिल्मों का उल्लेख करते हुए कहा कि ये फिल्में बुनकरों के सामाजिक और आर्थिक महत्व को सामने लाने में सहायक रही हैं।
कार्यक्रम का आयोजन वीवर्स डेवलपमेंट एंड रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (WDRO) और भाजपा के बुनकर प्रकोष्ठ के संयुक्त प्रयास से किया गया था। राज्यपाल ने इस पहल की सराहना की और सभी से अपील की कि ‘हैंडलूम फॉर होम’ को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं।
इस अवसर पर राज्यपाल ने पूर्व मुख्यमंत्री दिशोम गुरु शिबू सोरेन को श्रद्धांजलि अर्पित की और बुनकरों को सम्मानित भी किया।
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