Johar Live Desk: आषाढ़ अमावस्या का दिन पितरों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। इस दिन पितृ तर्पण, पिंडदान और दान-पुण्य करने से न सिर्फ पितृ दोष शांत होता है, बल्कि जीवन में सुख, शांति और समृद्धि भी बनी रहती है।
आषाढ़ अमावस्या का महत्व:
पितरों को समर्पित है यह अमावस्या माना जाता है कि इस तिथि पर किए गए श्राद्ध कर्म से पितरों को मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है। यह तिथि उन लोगों के लिए भी विशेष महत्व रखती है, जिन्हें अपने पूर्वजों की मृत्यु की तिथि पता नहीं है। ऐसे में इस दिन पितृ तर्पण और पिंडदान जरूर करें। इससे कुंडली में पितृ दोष शांत होता है।
आषाढ़ अमावस्या शुभ मुहूर्त:
पंचांग के अनुसार, 24 जून को साम 06 बजकर 07 मिनट पर आषाढ़ महीने के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि प्रारंभ होगी। वहीं, इसका समापन 25 जून को साम 04 बजकर 04 मिनट पर होगा।
आषाढ़ अमावस्या के दिन क्या दान करें:
आषाढ़ अमावस्या पर जल, मौसमी फल, सूती वस्त्र, धन व अन्न आदि का दान करना अत्यंत शुभ माना गया है। धन-संपदा बढ़ती है और सुखों में वृद्धि होती है।
आषाढ़ अमावस्या का धार्मिक महत्व:
आषाढ़ अमावस्या पितरों को समर्पित है। प्रसिद्ध ज्योतिष आचार्य प्रणव मिश्रा ने बताया कि इस तिथि पर किए गए श्राद्ध कर्म से पितरों को मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है। यह तिथि उन लोगों के लिए भी विशेष महत्व रखती है, जिन्हें अपने पूर्वजों की मृत्यु की तिथि पता नहीं है। ऐसे में इस दिन दान-पुण्य, पितृ तर्पण और पिंडदान जरूर करें। इससे कुंडली में पितृ दोष शांत होता है।
आषाढ़ अमावस्या पर पितृ तर्पण कैसे
सुबह जल्दी उठें और पवित्र स्नान करें।
स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
पितरों के नाम से तर्पण जल, जौ, तिल और कुशा से करें।
अपनी क्षमतानुसार पितरों के नाम से दान करें।
ब्राह्मणों को भोजन करवाएं।
अगर हो पाए तो इस दिन पिंडदान जरूर करें, इससे पितरों को मोक्ष मिल जाता है।
इस दिन पक्षियों को दाना डालना चाहिए।
अपनी वाणी पर संयम रखें और किसी को भी बुरा न बोलें।
ब्राह्मणों को भोजन कराएं और उनका आशीर्वाद लें।
प्रसिद्ध ज्योतिष
आचार्य प्रणव मिश्रा
आचार्यकुलम, अरगोड़ा, राँची
8210075897
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