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    Home»जोहार ब्रेकिंग»लिव-इन रिलेशनशिप से 40 फीसदी तक बढ़े ‘दुष्कर्म’ के मामले!, पढ़ें पूरी रिपोर्ट
    जोहार ब्रेकिंग

    लिव-इन रिलेशनशिप से 40 फीसदी तक बढ़े ‘दुष्कर्म’ के मामले!, पढ़ें पूरी रिपोर्ट

    Team JoharBy Team JoharSeptember 24, 2019No Comments6 Mins Read
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    Joharlive Desk

    नई दिल्ली : देश की शीर्ष अदालत ने लिव-इन-रिलेशनशिप को मान्यता दिए जाने के बाद दिल्ली में शादी से पहले एक साथ रहने का चलन बढ़ गया है। लिव-इन रिलेशनशिप का यह एक पहलू है। अब इसके दूसरे पहलू पर गौर करें तो मालूम होता है कि इन संबंधों की कहानी बलात्कार पर खत्म हो रही है। राष्ट्रीय राजधानी में बलात्कार के जो मामले दर्ज हो रहे हैं, उनमें करीब 40 फीसदी केस ऐसे हैं, जो सीधे तौर पर लिव-इन रिलेशनशिप से जुड़े हैं। साल 2018 में 15 सितंबर तक दुष्कर्म के 1557 मामले दर्ज हुए, वहीं 2019 में इन केसों की संख्या 1609 तक पहुंच गई है।

    रेप मामलों में अनजान आरोपियों की संख्या घटी

    सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल अपने एक फैसले में कहा था कि अगर लड़की बालिग है और वह पसंदीदा साथी के साथ रहना चाहती है, तो रह सकती है, यह उसका मौलिक अधिकार है। विधायिका भी डीवी ऐक्ट में लिव इन रिलेशनशिप को मान्यता देता है। इसी तरह यदि लड़का बालिग है और 21 साल से कम है, तो भी वह बालिग लड़की के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रह सकता है। हाल ही में दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच के विशेष आयुक्त सतीश गोलचा ने एक कार्यक्रम में कहा, यह ठीक है कि दुष्कर्म के मामले बढ़ रहे हैं। जांच में जो अहम बात निकलकर सामने आई है,वह यह है कि बलात्कार के मामलों में अनजान आरोपियों की संख्या लगातार घट रही है।

    लिव-इन रिलेशनशिप से बढ़े ‘दुष्कर्म’ के मामले

    पिछले चार-पांच साल के आंकड़े और जांच रिपोर्ट बताती हैं कि दुष्कर्म के केसों में ज्यादातर परिचित ही आरोपी होते हैं। करीब 97 फीसदी केस ऐसे हैं, जिनमें आरोपी, पीड़िता का करीबी जानकार या रिश्तेदार होता है। ऐसे मामलों में दोस्त, पिता, पड़ोसी, भाई, दफ्तर के सहकर्मी और सहपाठी दुष्कर्म के आरोप में गिरफ्तार हुए हैं। ये सभी किसी न किसी रुप में उन महिलाओं के परिचित होते हैं। इस तरह की स्थिति में पुलिस दुष्कर्म की घटना को कैसे रोक सकती है। बतौर गोलचा, पुलिस ऐसी वारदातों के बाद त्वरित कार्रवाई तो करती है, मगर उसे पहले से रोक पाना संभव नहीं है।

    दुष्कर्म के सबसे ज्यादा मामले लिव-इन रिलेशनशिप एवं शादी से इनकार करने के चलते दर्ज किए जा रहे हैं। इस साल अभी तक दर्ज हुए दुष्कर्म के मामलों में 35-40 फीसदी तो ऐसे हैं, जिनका सीधा जुड़ाव लिव-इन रिलेशनशिप से रहा है। इन मामलों के दर्ज करने के पीछे बड़ा कारण यह रहा है कि आरोपी युवक द्वारा युवती के साथ विवाह करने से मना कर दिया जाता है।
    साल दिल्ली में बलात्कार के मामले
    2011 572, जनवरी से दिसंबर तक
    2012 706
    2013 1636
    2014 2166
    2015 2199
    2016 2155
    2017 2146
    2018 2135
    2019 1609, 15 सितंबर तक
    ये हैं वे पांच कारण
    इस तरह के मामलों की लंबे समय से जांच कर रहे दिल्ली पुलिस के एक अन्य अधिकारी का कहना है कि लिव-इन रिलेशनशिप का अंत दुष्कर्म के आरोप पर जाकर समाप्त हो रहा है। जिस तरह शुरु में लिव-इन रिलेशनशिप का चलन तेजी से बढ़ा, अब उतनी ही तेजी से बलात्कार के मामले दर्ज हो रहे हैं। ऐसा भी नहीं है कि इन मामलों में ज्यादातर सच्चाई ही होती है, अधिकांश मामले झूठ पर टिके होते हैं। ये पांच कारण हैं जो लिव-इन रिलेशनशिप को दुष्कर्म की ओर धकेल रहे हैं।
    पहला कारण:
    लिव-इन रिलेशनशिप के बारे में युवक-युवती के परिजनों को कुछ मालूम नहीं होता। हर फैसला युवक-युवती को ही लेना होता है। ऐसे में जब उनकी बात बिगड़ जाती है, तो बीच बचाव कराने वाला कोई नहीं होता। ऐसे मामलों में काउंसलर की मदद भी नहीं ली जाती। नतीजा, पुलिस के पास बलात्कार के आरोप का एक नया मामला दर्ज हो जाता है।
    दूसरा कारण:
    रुपया-पैसा लिव-इन रिलेशनशिप में सबसे ज्यादा अहम माना जाता है। कौन कितना खर्च करेगा, ये सब बातें पहले से तय नहीं होती। बीच में जब कभी किसी साथी की जॉब छूट जाती है या वह किसी दूसरे शहर में जॉब के लिए जाता है, तो भी लिव-इन रिलेशनशिप में दरार आने लगती है। अनेक मामलों की जांच में यह बात सामने आई है कि महिला साथी की ओर से रुपयों की बड़ी मांग रखी जाती है, युवक उसे पूरा नहीं कर पाता। इसके बाद युवती दुष्कर्म का आरोप लगाकर पुलिस में मामला दर्ज करा देती है।
    तीसरा कारण:
    लिव-इन रिलेशनशिप में कई बार दोस्तों का हस्तक्षेप देखने को मिलता है। कुछ केस ऐसे भी सामने आए हैं, जिनमें युवक या युवती के दोस्त उनके संबंधों के बीच आने लगते हैं। मेट्रो सिटी के एक या दो कमरों के फ्लैट में रहने वाले इन युवाओं के पास इतनी जगह नहीं होती कि ये किसी को एक-दो दिन के लिए अपने पास ठहरा सकें। देखने में आया है कि लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वालों के दोस्त ही उनका जीवन तबाह कर देते हैं। युवक या युवती, दोनों में से कोई एक जब इन दोस्तों के चक्कर में आता है, तो वह अपना लिव-इन रिलेशनशिप खराब कर बैठता है।
    चौथा कारण:
    यह बात सही है कि जब कोई लिव-इन रिलेशनशिप में रहना शुरु करता है, तो उस वक्त शादी की शर्त जैसी कोई बात नहीं होती। जैसे ही साल दो साल गुजरते हैं, तो दोनों में से किसी एक साथी की तरफ से शादी का प्रस्ताव आता है। हालांकि ज्यादातर मामलों में युवती की ओर से ही शादी का जोर दिया जाता है। ऐसे में जब युवक शादी से मना करता है या कुछ वक्त मांगता है, तो युवती के लिए यह सब बर्दाश्त से बाहर होता है। चूंकि उन्हें समझाने वाला कोई नहीं होता, इसलिए मामला दुष्कर्म के आरोपों पर पहुंच जाता है।
    पांचवां कारण:
    लग्जरी लाइफ स्टाइल भी लिव-इन रिलेशनशिप को तोड़ने में बड़ी भूमिका अदा कर रही है। शुरु के दो-चार माह तक तो सब ठीक चलता है, लेकिन बाद में लड़की की ओर से फरमाइशें बढ़ने लगती हैं। 15 से 20 फीसदी केस ऐसे हैं कि जिनमें युवक, युवती की मांग पूरी नहीं कर पाता। केवल इसी वजह से बलात्कार का केस दर्ज करा दिया जाता है। बहुत से ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें युवक द्वारा युवती की मांग पूरी करने का प्रयास होता है, लेकिन हर बात को मानना युवक के लिए भी संभव नहीं होता। ऐसे मामले में जब वह इंकार कर देता है तो युवती उसके खिलाफ दुष्कर्म का केस दर्ज करा देती है।

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