Ranchi : झारखंड में सभी 48 नगर निकायों के चुनाव एक ही चरण में करवाए जाएंगे। राज्य निर्वाचन आयोग ने जिलों को इसके लिए तैयारियां पूरी करने का निर्देश दिया है। आयोग ने कहा है कि जिलों को वार्डों का आरक्षण तय कर सूची तैयार करनी होगी, ताकि जनवरी में इसे अंतिम रूप दिया जा सके। अनुमोदन के बाद ही नगर पंचायत, नगर परिषद और नगर निगम के मेयर पदों का आरक्षण सार्वजनिक किया जाएगा।
नई व्यवस्था के तहत वार्ड पार्षदों के लिए चक्रीय आरक्षण फिर से शुरू होगा, जबकि नगर निगम के मेयर और अन्य अध्यक्ष पदों से चक्रीय आरक्षण हटा दिया गया है। नए फॉर्मूले के अनुसार, मेयर और अध्यक्ष पदों पर पहले एसटी, फिर एससी, उसके बाद बीसी-1 और बीसी-2 को आरक्षण मिलेगा। राज्य में अधिकतम 50% आरक्षण की सीमा के कारण नौ नगर निगमों में से केवल चार नगर निगम के मेयर पद ही आरक्षित होंगे। अनुमान है कि रांची और आदित्यपुर का मेयर पद अनुसूचित जनजाति, गिरिडीह का मेयर पद अनुसूचित जाति और हजारीबाग का मेयर पद पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित होगा। जबकि देवघर, धनबाद, चास, मेदिनीनगर और मानगो का मेयर पद अनारक्षित रहेगा।
निर्वाचन आयोग के निर्देश के बाद जिले अब मतदान केंद्रों की योजना, मतदाता सूची की समीक्षा और बूथ स्तर की तैयारियों में जुट गए हैं। आयोग ने अधिकारियों को नामांकन प्रक्रिया, प्रत्याशियों की योग्यता और अयोग्यता, चुनाव आचार संहिता, खर्च सीमा और जरूरी प्रमाण पत्रों की जानकारी भेजी है। नियमों के अनुसार किसी वार्ड में अगर एससी, एसटी या ओबीसी की आबादी 1% से कम है तो वहां आरक्षण लागू नहीं होगा।
आयोग ने मतदान कर्मियों के डेटा अपडेट करने और संवेदनशील तथा अतिसंवेदनशील बूथों की पहचान करने का भी निर्देश दिया है। मतदाता जागरूकता कार्यक्रम चलाकर लोगों को मतदान के लिए प्रेरित किया जाएगा। चुनाव के दौरान सुरक्षा व्यवस्था भी सुनिश्चित की जाएगी ताकि सभी लोग भयमुक्त मतदान कर सकें।
वार्डों और मेयर पदों का आरक्षण जारी होने के बाद ही राज्य निर्वाचन आयोग निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी करेगा। अनुमान है कि यह अधिसूचना जनवरी के अंतिम सप्ताह या फरवरी के पहले सप्ताह में जारी हो सकती है। आयोग ने हाईकोर्ट को बताया है कि आठ सप्ताह में चुनाव की तैयारियां पूरी कर ली जाएंगी और 45 दिनों के भीतर चुनाव प्रक्रिया संपन्न हो जाएगी।
राज्य में सभी नगर निकायों का कार्यकाल समाप्त हो चुका है। चुनाव नहीं होने के कारण नगर निकायों का काम सरकारी अधिकारियों द्वारा संचालित किया जा रहा है। चुनाव के बाद जनप्रतिनिधियों के माध्यम से स्थानीय प्रशासन फिर से सक्रिय होगा।


