Ranchi : भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाह देव ने कहा कि बिहार में सीट बंटवारे के दौरान झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के साथ जो व्यवहार महागठबंधन ने किया है, वह न केवल राजनीतिक अपमान है बल्कि झामुमो की खोखली राजनीतिक हैसियत को भी उजागर करता है। उन्होंने कहा कि झामुमो बिहार में महागठबंधन से 12 सीटों की मांग कर रहा था, लेकिन उन्हें एक भी सीट नसीब नहीं हुई। यह उस पार्टी के लिए सबसे बड़ा राजनीतिक तमाचा है, जो खुद को “महागठबंधन की रीढ़” कहती फिरती है।
प्रतुल ने कहा कि बिहार में तो झामुमो को दरवाजे से अंदर घुसने नहीं दिया गया, और झारखंड में यही झामुमो कांग्रेस और राजद जैसे दल को अपने सिर पर बैठाए घूम रहा है। झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रवक्ता ने खुद कहा कि कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल ने झामुमो के पीठ में खंजर भोंका है। कांग्रेस का झारखंड में थोड़ा बहुत तो जन आधार है भी लेकिन राजद का न तो झारखंड में कोई जनाधार है, न संगठन, लेकिन झामुमो ने उन्हें मंत्रिमंडल में मंत्री पद तक दे दिया। प्रतुल ने तंज कसते हुए कहा कि अब सवाल यह है कि क्या इस अपमान के बाद झामुमो झारखंड में राजद और कांग्रेस के मंत्री को मंत्रिमंडल से बाहर करेगा, या फिर महागठबंधन में बने रहने के लिए चुपचाप इस बेज्जती को निगल जाएगा? भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि झामुमो का यह मौन झारखंड की जनता भी देख रही है। बिहार में दरकिनार और झारखंड में झुककर रहने की यह दोहरी राजनीति बताती है कि झामुमो अब अपनी राजनीतिक अस्मिता खो चुका है।
प्रतुल ने कहा कि झारखंड में कांग्रेस, राजद को मंत्री बनाकर झामुमो ने जो ‘गठबंधन धर्म’ निभाया था, उसका ‘बिहार अध्याय’ महागठबंधन ने अब पूरी तरह बंद कर दिया है। कह सकते हैं कि झामुमो अब न घर का रहा, न घाट का। लंबे समय से झारखंड मुक्ति मोर्चा झारखंडी अस्मिता के विपरीत बिहार के चौराहे पर खड़ा होकर कटोरा लेकर सीटों के लिए भिक्षा मांग रहा था।महागठबंधन के दलों ने उसे उसकी राजनीतिक औकात दिखा दी।

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