Johar Live Desk : 2 अक्टूबर को दशहरा और गांधी जयंती की छुट्टी के बाद शुक्रवार को भारतीय शेयर बाजार की शुरुआत कमजोर रही। बीएसई का सेंसेक्स 299 अंकों की गिरावट के साथ 80,684 पर खुला, वहीं एनएसई का निफ्टी 76 अंक टूटकर 24,759 के स्तर पर पहुंच गया। यह हफ्ते का आखिरी कारोबारी दिन रहा और बाजार की शुरुआत से ही निवेशकों में सतर्कता दिखाई दी।
वैश्विक बाजारों से मिले-जुले संकेतों का असर घरेलू बाजार पर साफ नजर आया। एक ओर अमेरिका के तीनों प्रमुख सूचकांक गुरुवार को नई ऊंचाई पर बंद हुए, तो दूसरी ओर एशियाई बाजारों में हल्की तेजी देखने को मिली। जापान का निक्केई 1.36% चढ़ा और टॉपिक्स इंडेक्स भी 0.35% बढ़ा। हालांकि हांगकांग का हैंग सेंग फ्यूचर्स थोड़ा कमजोर खुला। चीन और दक्षिण कोरिया के बाजार छुट्टियों की वजह से बंद रहे।
गिफ्ट निफ्टी का प्रदर्शन भी कमजोर शुरुआत का संकेत दे रहा था। यह 24,942 के आस-पास कारोबार कर रहा था, जो पिछले बंद भाव से करीब 25 अंक नीचे था। इससे पहले से ही संकेत मिल रहे थे कि भारतीय बाजार सुस्त शुरुआत कर सकते हैं।

अमेरिका में गुरुवार को शेयर बाजार टेक कंपनियों के दम पर मजबूती के साथ बंद हुआ। डॉउ जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज करीब 79 अंक चढ़कर 46,519 पर पहुंचा। एसएंडपी 500 में हल्की बढ़त दर्ज हुई, जबकि नैस्डैक कंपोजिट 88 अंकों की तेजी के साथ 22,844 पर बंद हुआ। अमेरिकी बाजारों की यह तेजी उस समय आई जब वहां सरकार के शटडाउन की आशंका बनी हुई है।
उधर, टेस्ला ने इस तिमाही में अपनी गाड़ियों की रिकॉर्ड बिक्री दर्ज की है। कंपनी ने दुनियाभर में कुल 4,97,099 वाहन डिलीवर किए, जो कि पिछले साल की तुलना में 7.4% ज्यादा है। टैक्स क्रेडिट खत्म होने से पहले अमेरिका में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की मांग तेजी से बढ़ी है, जिसका टेस्ला को सीधा फायदा मिला।
कमोडिटी बाजार की बात करें तो सोने की कीमतों में गिरावट देखी गई। डॉलर की मजबूती और मुनाफावसूली के चलते सोने का हाजिर भाव 0.2% गिरकर 3,856.58 डॉलर प्रति औंस पर पहुंच गया। वहीं कच्चे तेल की कीमतों में हल्की तेजी जरूर आई, लेकिन ओपेक की बैठक से पहले यह लगातार हफ्ते भर की सबसे बड़ी गिरावट की ओर बढ़ रहा है। ब्रेंट क्रूड 64.40 डॉलर और डब्ल्यूटीआई क्रूड 60.76 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा है।
कुल मिलाकर घरेलू बाजार पर वैश्विक संकेतों का मिला-जुला असर देखा गया। निवेशकों की नजर अब अगले हफ्ते के कारोबारी रुझानों पर टिकी है, खासकर जब विदेशी बाजारों में अस्थिरता बनी हुई है।