Ranchi : झारखंड सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। राज्य के सात जिलों को अब डीवीसी (दामोदर वैली कॉरपोरेशन) से बिजली आपूर्ति के लिए निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। सरकार ने इन जिलों में खुद का ट्रांसमिशन नेटवर्क खड़ा करने की तैयारी कर ली है। अगले तीन साल में झारखंड ट्रांसमिशन निगम इन इलाकों में बिजली आपूर्ति की पूरी जिम्मेदारी संभालेगा।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का निर्देश, खुद का सिस्टम विकसित करें
मुख्यमंत्री और ऊर्जा मंत्री हेमंत सोरेन ने पहले ही निर्देश दिया था कि राज्य को बिजली आपूर्ति के लिए आत्मनिर्भर बनना होगा। इसी के तहत झारखंड ट्रांसमिशन निगम ने आठ नई परियोजनाएं बनाई हैं, जिन्हें कैबिनेट की मंजूरी मिल चुकी है। अब इन पर काम जल्द शुरू होगा।
झारखंड को होगी पर्याप्त बिजली
पतरातू थर्मल पावर प्लांट की पहली यूनिट से राज्य को पहले ही 585 मेगावाट बिजली मिल रही है। आने वाले दो सालों में दो और यूनिट शुरू होंगी, जिससे राज्य को कुल बिजली का 85% हिस्सा मिल सकेगा। इससे झारखंड की बिजली जरूरतें पूरी होंगी और बाहर पर निर्भरता घटेगी।

डीवीसी क्षेत्र के सात जिले होंगे स्वतंत्र
फिलहाल झारखंड के ये सात जिले देवघर, दुमका, गिरिडीह, हजारीबाग, रामगढ़, धनबाद और बोकारो डीवीसी कमांड एरिया में आते हैं। यहां बिजली की मांग 1200 मेगावाट है, लेकिन डीवीसी सिर्फ 600 मेगावाट ही दे पाता है। पुराने ट्रांसमिशन सिस्टम और लाइनें अब काम के लायक नहीं बची हैं, जिससे बिजली कटौती आम हो गई है। सरकार अब इन जिलों में खुद बिजली सप्लाई करेगी।
नई परियोजनाएं जो होंगी शुरू
सरकार ने जिन नई योजनाओं पर काम शुरू करने की तैयारी की है, उनमें शामिल हैं
- आईटीआई मोड़, चास में 132/33 केवी ग्रिड सब स्टेशन – ₹74.95 करोड़
- बलियापुर-मैथन 220 केवी ट्रांसमिशन लाइन – ₹174 करोड़
- बलियापुर-सिंदरी 132 केवी लाइन – ₹67.59 करोड़
- धनबाद में गैस इंसुलेटेड सब स्टेशन – ₹113 करोड़
- सिंदरी में लिलो ट्रांसमिशन लाइन – ₹77.66 करोड़
- मैथन में लिलो लाइन के साथ 220/132/33 केवी ग्रिड सब स्टेशन – ₹173 करोड़
- मैथन में 220/132/33 केवी जीआईएस सब स्टेशन – ₹172 करोड़
- मैथन-टुंडी 132 केवी ट्रांसमिशन लाइन – ₹126 करोड़
- सिंदरी (हर्ल) में 132/33 केवी ग्रिड सब स्टेशन – ₹74.95 करोड़