Kathmandu : नेपाल में सरकारी के खिलाफ जेन-जी आंदोलन हिंसक हो गया है। कई शहरों में प्रदर्शनकारियों ने सरकारी दफ्तरों और नेताओं के घरों को निशाना बनाया, जिससे हालात बेकाबू हो गए। अब तक हुई झड़पों में कम से कम 20 लोगों की मौत हो गई है और 500 से ज्यादा घायल हुए हैं। हिंसा और अस्थिर हालात को देखते हुए नेपाल गए पर्यटक और वहां रह रहे भारतीय नागरिक बड़ी संख्या में वापस लौट रहे हैं। कई लोग पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले के पानीटंकी बॉर्डर से भारत में दाखिल हुए। लौटे नागरिकों ने कहा कि अब उन्हें राहत महसूस हो रही है।
विदेश मंत्रालय ने जारी की एडवाइजरी
भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने नेपाल के मौजूदा हालात पर चिंता जताई है और भारतीय नागरिकों को नेपाल यात्रा से बचने की सलाह दी है।
विरोध प्रदर्शनों के बीच पीएम का इस्तीफा
हिंसक प्रदर्शनों और बढ़ते दबाव के बीच प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने मंगलवार को इस्तीफा दे दिया। आंदोलनकारियों की मांग है कि शासन में भ्रष्टाचार और पक्षपात खत्म किया जाए और सरकार की निर्णय प्रक्रिया जवाबदेह व पारदर्शी हो।
कैसे भड़का आंदोलन?
- 8 सितंबर को काठमांडो, पोखरा, बुटवल और बीरगंज सहित कई शहरों में विरोध शुरू हुआ।
- सरकार ने फेसबुक, यूट्यूब समेत 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगाया।
- पाबंदी हटाने के बाद भी विरोध और तेज हो गया।
आगजनी और तोड़फोड़
कर्फ्यू और सुरक्षा के बावजूद प्रदर्शनकारियों ने राजधानी काठमांडो के सिंह दरबार (प्रधानमंत्री व मंत्रियों के दफ्तर), संसद भवन, सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति आवास में आगजनी व तोड़फोड़ की। सिंह दरबार पूरी तरह जलकर राख हो गया।
प्रदर्शनकारियों ने पीएम ओली के बालकोट और जनकपुर स्थित घरों के अलावा पूर्व पीएम पुष्प कमल दहल प्रचंड, संचार मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुंग, पूर्व गृह मंत्री रमेश लेखक, ऊर्जा मंत्री दीपक खड़का और कांग्रेस महासचिव गगन थापा के घरों को भी निशाना बनाया।
कर्फ्यू और भारी सुरक्षा
हालात पर काबू पाने के लिए काठमांडो समेत कई बड़े शहरों में कर्फ्यू लगा दिया गया है। सेना और सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ा दी गई है।
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