Johar live desk: अमित शाह ने “संवैधानिक नैतिकता” की ज़रूरत पर ज़ोर दिया, जिसे उन्होंने कहा कि विपक्ष और सत्ताधारी, दोनों दलों को पालन करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि आज़ादी के 75 सालों में ऐसा कभी नहीं हुआ था। इसी संदर्भ में उन्होंने पूर्व दिल्ली मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का उदाहरण दिया, जिन्होंने तिहाड़ जेल से ही सरकार चलाई थी। इसी वजह से जेल में बंद मंत्रियों को बर्खास्त करने के लिए नए बिल लाने की बात कही गई।
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा, “क्या देश की जनता चाहती है कि कोई मुख्यमंत्री जेल में रहकर सरकार चलाए? यह कैसी बहस है? मुझे समझ नहीं आता। यह सवाल नैतिकता का है। अब सवाल उठाया जा रहा है कि इसे संविधान में पहले क्यों नहीं जोड़ा गया। जब संविधान बनाया गया था तब यह अनुमान नहीं था कि जेल जाने वाले लोग भी सत्ता में बने रहेंगे।” वे केरल में मणोरमा न्यूज़ कॉन्क्लेव में बोल रहे थे।
श्री शाह ने दिल्ली की अब रद्द की गई शराब नीति मामले में कथित भ्रष्टाचार के आरोप में अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी और उनके जेल जाने के बाद भी इस्तीफ़ा न देने का ज़िक्र किया।
उन्होंने कहा, “अब जब ऐसा हुआ कि एक मुख्यमंत्री जेल से सरकार चला रहा था, तो क्या संविधान में संशोधन होना चाहिए या नहीं? बीजेपी की भी सरकारें रहीं, लेकिन कभी ऐसी स्थिति नहीं आई। अगर केजरीवाल ने गिरफ्तारी के बाद इस्तीफ़ा दे दिया होता, तो शायद आज यह बिल लाने की ज़रूरत ही न पड़ती। लेकिन मेरा मानना है कि लोकतंत्र में नैतिकता का स्तर बनाए रखना दोनों दलों की ज़िम्मेदारी है।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी बिहार में इस बिल का समर्थन किया। विपक्ष के हंगामे के बीच बिल को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के पास भेजा गया।
उन्होंने कहा, “हमने एक शर्मनाक स्थिति देखी है जब सत्ता में बैठे लोग जेल से सरकार चला रहे थे, जेल के पीछे से फाइलें साइन कर रहे थे, और संवैधानिक मर्यादाओं की धज्जियां उड़ा रहे थे।” यह सीधा इशारा अरविंद केजरीवाल की ओर था।
प्रधानमंत्री ने दावा किया कि उनकी 11 साल पुरानी सरकार पर भ्रष्टाचार का कोई दाग नहीं है। उन्होंने कांग्रेस और आरजेडी पर तंज कसते हुए कहा कि कांग्रेस के कार्यकाल में कई घोटाले हुए और बिहार में आरजेडी की सरकार के भ्रष्टाचार को “सड़क पर चलता आम आदमी भी जानता है।”
उन्होंने कहा, “इसीलिए हमने कानून लाने का फैसला किया कि अगर कोई मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री लगातार 30 दिन जेल में रहता है तो उसे पद से हटा दिया जाएगा। एक छोटा सा क्लर्क भी अगर जेल चला जाए तो उसे निलंबित कर दिया जाता है। लेकिन जब हमने यह सख्त क़ानून लाया तो कांग्रेस, आरजेडी और वामपंथी दल भड़क गए, क्योंकि उन्हें अपने पापों की सज़ा का डर है।”
वहीं, कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि यह देश को “मध्ययुगीन काल” की तरफ धकेलने जैसा है, जब राजा जिसे चाहता था जेल में डाल देता था। उन्होंने कहा कि पिछले 11 सालों में बीजेपी सरकार ने ईडी, आयकर और सीबीआई जैसी एजेंसियों को विपक्षी नेताओं को निशाना बनाने के लिए “कठोर हथियार” बना दिया है।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने संसद के सेंट्रल हॉल (संविधान सदन) में कहा कि यह संवैधानिक संशोधन बिल संसदीय लोकतंत्र और संघवाद के मूल्यों को कमजोर करेगा। उन्होंने आरोप लगाया कि इसे सत्र के आखिरी समय में लाया गया ताकि सही बहस और जांच का अवसर ही न मिले।
उन्होंने कहा, “ये नए बिल सत्ताधारी दल के हाथ में एक औज़ार बन जाएंगे, जिनसे राज्यों की लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकारों को अस्थिर और कमजोर किया जा सकेगा। संसद में विपक्ष की आवाज़ को लगातार दबाया जा रहा है और हमें जनता के मुद्दों को उठाने का मौका तक नहीं दिया जा रहा है।”