Deoghar : सावन के पवित्र महीने में जहां चारों ओर हरियाली, शिवभक्ति और कांवरियों की भीड़ देखने को मिल रही है, वहीं पश्चिम बंगाल के रिसड़ा शहर से आए आकाश रावत की कांवर यात्रा श्रद्धा और समर्पण की अनूठी मिसाल बन गई है। आकाश ने अपनी एक साल आठ महीने की बेटी कनिष्का रावत को कांवर में बैठाकर सुल्तानगंज से देवघर स्थित बाबा धाम तक की 105 किलोमीटर की कठिन यात्रा तीन दिनों में पूरी की।
मन्नत पूरी करने निकले पिता और चाचा
आकाश रावत ने भगवान शिव से संतान की कामना करते हुए संकल्प लिया था कि बेटी के जन्म पर उसे कांवर में बैठाकर बाबा बैद्यनाथ के दर्शन कराने आएंगे। भोलेनाथ ने उनकी मन्नत पूरी की और लक्ष्मी स्वरूप कनिष्का के जन्म के बाद पूरे परिवार में उत्सव का माहौल बना। बेटी के थोड़ा बड़ा होने पर आकाश और उनके भाई ने मन्नत पूरी करने का निर्णय लिया।
गंगाजल और बेटी के साथ भावनाओं की यात्रा
कांवर के एक ओर गंगाजल और दूसरी ओर बेटी को लेकर आकाश ने यह यात्रा पूरी की। उन्होंने कहा, “बेटी लक्ष्मी का रूप होती है और उसे कांवर में बैठाकर बाबा के दरबार लाना मेरे जीवन का सबसे पवित्र क्षण था।” उनके भाई ने भी कहा, “यह सिर्फ यात्रा नहीं थी, बल्कि भावों की अभिव्यक्ति थी – आस्था, परंपरा और पारिवारिक एकता का प्रतीक।”
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