Patna : पवित्र सावन मास की शुरुआत के साथ ही 11 जुलाई से श्रावणी मेला शुरू हो चुका है, जो 9 अगस्त तक चलेगा। इस दौरान लाखों-करोड़ों शिवभक्त गंगा जल लेकर बिहार और झारखंड के प्रमुख शिव धामों में जलाभिषेक के लिए पहुंच रहे हैं। बिहार में पांच प्रमुख कांवर यात्रा मार्ग विशेष रूप से चर्चित हैं, जहां भारी संख्या में कांवरिये बाबा भोलेनाथ की भक्ति में लीन हैं।
सुल्तानगंज से देवघर कांवर यात्रा मार्ग
भागलपुर जिले के सुल्तानगंज में अजगैवीनाथ धाम घाट से कांवरिया गंगा जल लेकर असरगंज, तारापुर, और कटोरिया के रास्ते झारखंड के देवघर स्थित ज्योतिर्लिंग बाबा वैद्यनाथ धाम पहुंचते हैं। यह मार्ग सबसे अधिक भीड़भाड़ वाला रहता है। वैकल्पिक मार्ग के रूप में कांवरिया सुल्तानगंज से अकबरनगर, अमरपुर, बांका, और कटोरिया या फिर बांका से ढाकामोड़-हसडीहा के रास्ते देवघर पहुंच सकते हैं।
पहलेजा घाट से बाबा गरीबनाथ
सारण जिले के सोनपुर के पास पहलेजा घाट से कांवरिया गंगा जल लेकर हाजीपुर के रास्ते मुजफ्फरपुर के बाबा गरीबनाथ मंदिर पहुंचते हैं। यह यात्रा मार्ग लगभग 65 किलोमीटर लंबा है। सावन में हर शुक्रवार, शनिवार और रविवार को एनएच-22 का पश्चिमी लेन कांवरियों के लिए सुरक्षित रहता है। वैकल्पिक मार्गों में हाजीपुर से लालगंज, महुआ, या सोनपुर-सोनहो के रास्ते मुजफ्फरपुर पहुंचा जा सकता है।
फतुहा से सिद्धेश्वर नाथ
फतुहा से गंगा जल लेकर कांवरिया पटना और नालंदा के रास्ते हुलासगंज होते हुए फल्गु नदी पार कर जहानाबाद जिले के बराबर पहुंचते हैं और बाबा सिद्धेश्वर नाथ का जलाभिषेक करते हैं। वैकल्पिक मार्ग के रूप में एनएच-22 से पटना, मखदुमपुर, और फिर बराबर पहुंचा जा सकता है।
डुमरिया घाट-डोरीगंज से बाबा धनेश्वरनाथ
गोपालगंज के डुमरिया घाट से नारायणी नदी और सारण जिले के डोरीगंज से गंगा जल लेकर कांवरिया सिंहासिनी स्थित बाबा धनेश्वरनाथ मंदिर पहुंचते हैं। यह यात्रा एनएच-27 से महम्मदपुर, फिर स्टेट हाईवे-90 के रास्ते पकड़ी मोड़ तक जाती है, जहां से दो किलोमीटर की पदयात्रा कर जलाभिषेक किया जाता है। वैकल्पिक मार्ग में गरौली चंवर, मठिया बाजार, और उसरी-दिघवा दुबौली शामिल हैं।
रामरेखा घाट से बाबा ब्रह्मेश्वर नाथ
बक्सर जिले के रामरेखा घाट से गंगा जल लेकर कांवरिया ब्रह्मपुर स्थित बाबा ब्रह्मेश्वर नाथ मंदिर पहुंचते हैं। यह यात्रा मार्ग लगभग 33 किलोमीटर लंबा है और हाइवे 922 इसका मुख्य रास्ता है। सावन के प्रत्येक सोमवार को इस फोरलेन सड़क का एक लेन कांवरियों के लिए आरक्षित रहता है।
श्रावणी मेले के दौरान प्रशासन ने कांवरियों की सुविधा और सुरक्षा के लिए व्यापक इंतजाम किए हैं। सड़कों पर विशेष ट्रैफिक व्यवस्था, स्वास्थ्य शिविर, और सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है ताकि भक्तों को किसी प्रकार की असुविधा न हो। यह मेला न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि बिहार की सांस्कृतिक और सामाजिक एकता को भी दर्शाता है।
Patna : पवित्र सावन मास की शुरुआत के साथ ही 11 जुलाई से श्रावणी मेला शुरू हो चुका है, जो 9 अगस्त तक चलेगा। इस दौरान लाखों-करोड़ों शिवभक्त गंगा जल लेकर बिहार और झारखंड के प्रमुख शिव धामों में जलाभिषेक के लिए पहुंच रहे हैं। बिहार में पांच प्रमुख कांवर यात्रा मार्ग विशेष रूप से चर्चित हैं, जहां भारी संख्या में कांवरिये बाबा भोलेनाथ की भक्ति में लीन हैं।
सुल्तानगंज से देवघर कांवर यात्रा मार्ग
भागलपुर जिले के सुल्तानगंज में अजगैवीनाथ धाम घाट से कांवरिया गंगा जल लेकर असरगंज, तारापुर, और कटोरिया के रास्ते झारखंड के देवघर स्थित ज्योतिर्लिंग बाबा वैद्यनाथ धाम पहुंचते हैं। यह मार्ग सबसे अधिक भीड़भाड़ वाला रहता है। वैकल्पिक मार्ग के रूप में कांवरिया सुल्तानगंज से अकबरनगर, अमरपुर, बांका, और कटोरिया या फिर बांका से ढाकामोड़-हसडीहा के रास्ते देवघर पहुंच सकते हैं।
पहलेजा घाट से बाबा गरीबनाथ
सारण जिले के सोनपुर के पास पहलेजा घाट से कांवरिया गंगा जल लेकर हाजीपुर के रास्ते मुजफ्फरपुर के बाबा गरीबनाथ मंदिर पहुंचते हैं। यह यात्रा मार्ग लगभग 65 किलोमीटर लंबा है। सावन में हर शुक्रवार, शनिवार और रविवार को एनएच-22 का पश्चिमी लेन कांवरियों के लिए सुरक्षित रहता है। वैकल्पिक मार्गों में हाजीपुर से लालगंज, महुआ, या सोनपुर-सोनहो के रास्ते मुजफ्फरपुर पहुंचा जा सकता है।
फतुहा से सिद्धेश्वर नाथ
फतुहा से गंगा जल लेकर कांवरिया पटना और नालंदा के रास्ते हुलासगंज होते हुए फल्गु नदी पार कर जहानाबाद जिले के बराबर पहुंचते हैं और बाबा सिद्धेश्वर नाथ का जलाभिषेक करते हैं। वैकल्पिक मार्ग के रूप में एनएच-22 से पटना, मखदुमपुर, और फिर बराबर पहुंचा जा सकता है।
डुमरिया घाट-डोरीगंज से बाबा धनेश्वरनाथ
गोपालगंज के डुमरिया घाट से नारायणी नदी और सारण जिले के डोरीगंज से गंगा जल लेकर कांवरिया सिंहासिनी स्थित बाबा धनेश्वरनाथ मंदिर पहुंचते हैं। यह यात्रा एनएच-27 से महम्मदपुर, फिर स्टेट हाईवे-90 के रास्ते पकड़ी मोड़ तक जाती है, जहां से दो किलोमीटर की पदयात्रा कर जलाभिषेक किया जाता है। वैकल्पिक मार्ग में गरौली चंवर, मठिया बाजार, और उसरी-दिघवा दुबौली शामिल हैं।
रामरेखा घाट से बाबा ब्रह्मेश्वर नाथ
बक्सर जिले के रामरेखा घाट से गंगा जल लेकर कांवरिया ब्रह्मपुर स्थित बाबा ब्रह्मेश्वर नाथ मंदिर पहुंचते हैं। यह यात्रा मार्ग लगभग 33 किलोमीटर लंबा है और हाइवे 922 इसका मुख्य रास्ता है। सावन के प्रत्येक सोमवार को इस फोरलेन सड़क का एक लेन कांवरियों के लिए आरक्षित रहता है।
श्रावणी मेले के दौरान प्रशासन ने कांवरियों की सुविधा और सुरक्षा के लिए व्यापक इंतजाम किए हैं। सड़कों पर विशेष ट्रैफिक व्यवस्था, स्वास्थ्य शिविर, और सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है ताकि भक्तों को किसी प्रकार की असुविधा न हो। यह मेला न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि बिहार की सांस्कृतिक और सामाजिक एकता को भी दर्शाता है।
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