Ranchi : झारखंड में अवैध बालू खनन का दुष्प्रभाव अब बुनियादी संरचनाओं पर भी स्पष्ट दिखने लगा है। खूंटी-सिमडेगा मार्ग पर स्थित बनई नदी पुल के टूटने को लेकर वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता दिलीप मिश्रा ने शुक्रवार को गंभीर चिंता जताई और इसे बालू माफियाओं तथा प्रशासन की मिलीभगत का नतीजा बताया।
दिलीप मिश्रा के अनुसार, यह पुल किसी आकस्मिक घटना में नहीं टूटा, बल्कि यह वर्षों से हो रहे अवैध बालू उठाव और प्रशासन की लापरवाही का परिणाम है। उन्होंने कहा कि पुल के पिलरों के नीचे से बालू लगभग गायब हो चुका था, और बारिश की वजह से पुल ढह गया।
उन्होंने आगे चेताया कि बकसपूर पुल, जो कारों नदी पर स्थित है, भी अब धंसने की कगार पर है। वहीं, तोरपा के अम्बापकना गिडुम पुल और तमाड़ का बमलाडीह पुल, जिनका निर्माण करोड़ों की लागत से किया गया था, पहले ही बालू माफियाओं के कारण क्षतिग्रस्त हो चुके हैं।
मिश्रा ने यह भी आरोप लगाया कि राज्य प्रशासन और बालू माफियाओं की मिलीभगत के कारण यह संकट उत्पन्न हुआ है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं, तब भी अवैध खनन कैसे बेरोकटोक जारी है?
उन्होंने बताया कि उन्होंने और अन्य सामाजिक संगठनों ने कई बार सरकार और संबंधित विभागों को पत्र लिखकर चेताया है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। मिश्रा ने यह भी दावा किया कि पूर्व मंत्री एनोस एक्का के कार्यकाल में बनई नदी पुल के निर्माण में घटिया सामग्री का इस्तेमाल हुआ था, जिससे यह अब असुरक्षित हो चुका था।
अंत में मिश्रा ने चेतावनी दी कि अगर प्रशासन अब भी नहीं जागा तो कर्रा और गोविंदपुर क्षेत्र में स्थित अन्य पुलों का भी यही हाल होगा और भविष्य में बड़ी दुर्घटनाएं हो सकती हैं। उन्होंने बताया कि इस संबंध में रेलवे को भी सूचित किया गया है, ताकि समय रहते कदम उठाए जा सकें।
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