सिमडेगा: सिमडेगा जिले के एक छोटे से गांव लचरागढ़ की अनीता देवी कभी अपने परिवार के खर्च चलाने के लिए संघर्ष करती थीं। आज वही अनीता देवी अपने दम पर न सिर्फ आत्मनिर्भर बनी हैं, बल्कि दूसरों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बन चुकी हैं। दस गायों की मालिक, हर महीने लाखों का दूध बेचने वाली यह ग्रामीण महिला बताती हैं कि बदलाव की शुरुआत छोटे कदमों से होती है।
साल 2015 में उन्होंने मां शक्ति स्वयं सहायता समूह से जुड़कर एक नई राह पर कदम रखा। शुरुआत में बचत करना और समूह की बैठकों में भाग लेना उनके लिए बड़ा कदम था। लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने न केवल आत्मविश्वास हासिल किया, बल्कि आर्थिक रूप से मजबूत होने की दिशा में भी कदम बढ़ाए।
2018 में उन्हें रांची, धुर्वा में गाय पालन का प्रशिक्षण मिला। फिर उन्होंने ₹20,000 का ऋण लेकर एक गाय खरीदी। इसके बाद SVEP योजना के तहत ₹75,000 की सहायता से तीन और गायें लीं। बाद में बैंक लिंकेज के माध्यम से ₹2 लाख का ऋण लेकर उन्होंने अपने डेयरी व्यवसाय को और विस्तार दिया।
आज उनके पास 10 गायें और 5 बछड़े हैं। छह गायें रोज दूध देती हैं, जिससे वे प्रतिदिन 50 से 60 लीटर दूध बेचती हैं। ₹50 प्रति लीटर के हिसाब से उनकी मासिक आमदनी ₹45,000 से ₹50,000 के बीच पहुंच गई है।
अनीता देवी बताती हैं कि अब उन्हें गांव में किसी महाजन से ऊंचे ब्याज पर कर्ज लेने की जरूरत नहीं होती। उन्होंने अपने बच्चों को अच्छे स्कूलों में पढ़ाया, बेटियों की शादी सम्मानपूर्वक की और दोनों बेटों को आत्मनिर्भर बनाया।
वे कहती हैं, “शुरुआत में डर था, लेकिन समूह ने सहारा दिया। आज मैं अपने परिवार को एक बेहतर जीवन दे पा रही हूं। यह बदलाव JSLPS के मार्गदर्शन और समूह की ताकत से ही संभव हो सका है।”
उनकी कहानी इस बात का सबूत है कि अगर हिम्मत हो और सही दिशा मिले, तो कोई भी महिला अपने जीवन को पूरी तरह बदल सकती है।
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