झारखंड: झारखंड की एक महिला एडिशनल जिला जज को अपने बच्चे की देखभाल के लिए मांगी गई चाइल्ड केयर लीव (सीसीएल) नहीं मिल पाई। बिना कोई कारण बताए उनकी छुट्टी को रद्द कर दिया गया जिसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। महिला जज ने अपने वकील के माध्यम से शीर्ष अदालत में याचिका दाखिल कर तत्काल सुनवाई की मांग की। इस पर चीफ जस्टिस बी. आर. गवई और जस्टिस आगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने 29 मई को सुनवाई तय की है।
महिला जज के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में बताया कि याचिकाकर्ता एक सिंगल पेरेंट हैं और हाल ही में उनका तबादला दूसरी जगह कर दिया गया था। नई जगह पर कार्यभार संभालते हुए उन्हें बच्चे की देखभाल में कठिनाई हो रही थी जिसके चलते उन्होंने 10 जून से दिसंबर तक की चाइल्ड केयर लीव मांगी थी। लेकिन उनकी यह अर्जी बिना कारण के खारिज कर दी गई।
चीफ जस्टिस ने जब पूछा कि छुट्टी क्यों रद्द की गई तो वकील ने कहा कि इसके पीछे कोई स्पष्ट कारण नहीं दिया गया।
चाइल्ड केयर लीव भारत सरकार द्वारा महिला और पुरुष दोनों कर्मचारियों को दी जाने वाली विशेष छुट्टी है खासकर सिंगल पेरेंट्स को। यह बच्चों की देखभाल, बीमारी, स्कूल से जुड़ी जिम्मेदारियों या किसी अन्य जरूरी जरूरत के लिए दी जाती है।
उधर हाल ही में एक अन्य मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के कुछ जजों के काम करने के तरीके पर सवाल उठाए। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटीश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को हाईकोर्ट के जजों के खिलाफ बार-बार ब्रेक लेने और नियमित कार्य न करने को लेकर कई शिकायतें मिल रही हैं। पीठ ने कहा कि कुछ जज ऐसे भी हैं जिनके काम पर गर्व होता है पर कई जज निराश कर रहे हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या जज केवल दोपहर के भोजन के लिए ब्रेक नहीं ले सकते? इससे उनका प्रदर्शन बेहतर होगा और परिणाम भी।
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