जमशेदपुर: जमशेदपुर के साकची स्थित 64 साल पुराने एमजीएम अस्पताल को डिमना में शिफ्ट करने की 15 दिन की डेडलाइन 18 मई को समाप्त हो गई, लेकिन अब तक अस्पताल का एक भी विभाग पूरी तरह शिफ्ट नहीं हो पाया है। इस अस्पताल की शिफ्टिंग प्रक्रिया न सिर्फ धीमी है, बल्कि बेहद अव्यवस्थित भी है।
सिर्फ एक छोटे ट्रक के सहारे शिफ्टिंग की जा रही है, जिससे प्रतिदिन 7-8 बार आवाजाही कर कुछ सामान ढोया जा रहा है। दो दिन पूर्व एक छोटी जीप भी जोड़ी गई है, लेकिन अस्पताल कर्मियों और डॉक्टरों का कहना है कि इतने बड़े अस्पताल को इतने सीमित संसाधनों से शिफ्ट करना बेहद मुश्किल है। उनका कहना है कि अगर मजदूरों और ट्रकों की संख्या नहीं बढ़ाई गई तो प्रक्रिया में कई और सप्ताह लग सकते हैं।
3 मई को एमजीएम अस्पताल के एक विभाग का हिस्सा गिरने के बाद स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने जमशेदपुर पहुंचकर घोषणा की थी कि 10 से 15 दिनों में अस्पताल को डिमना में स्थानांतरित कर पुराने भवन को ध्वस्त किया जाएगा। इसके बाद जिला प्रशासन सक्रिय हुआ और उपायुक्त ने अधीक्षक को सख्त निर्देश भी दिए।
हालांकि प्रशासनिक सक्रियता के बावजूद अस्पताल प्रबंधन ने शिफ्टिंग की जिम्मेदारी सिर्फ एक ट्रक पर डाल दी। ये ट्रक भवन निर्माण कर रही कंपनी ने मार्च में ही उपलब्ध करा दिया था, लेकिन शुरुआत में प्रतिदिन सिर्फ एक-दो ट्रिप ही किए जा रहे थे।
अस्पताल के अधिकांश वार्ड तो दूर, अब तक सभी ओपीडी भी डिमना में पूरी तरह शिफ्ट नहीं हो सकी हैं। अभी तक केवल तीन-चार विभागों की ओपीडी ही पूरी तरह डिमना में संचालित हो रही हैं, जबकि बाकी विभागों की ओपीडी आंशिक रूप से चल रही हैं। ब्लड बैंक, पैथोलॉजी, x–ray जैसे जरूरी विभाग भी अब तक साकची में ही हैं, जिसके चलते मरीजों को डिमना में दिखाने के बाद जांच के लिए वापस साकची आना पड़ रहा है।
एमजीएम अस्पताल के अधीक्षक डॉ. आरके मंधान के अनुसार, “जिला प्रशासन के अधिकारियों को शिफ्टिंग प्रक्रिया का समन्वयक बनाया गया है और उनके निर्देशानुसार ही कार्य हो रहा है।”
अस्पताल की शिफ्टिंग में हो रही देरी और अव्यवस्था ने न सिर्फ मरीजों की परेशानी बढ़ा दी है, बल्कि प्रशासन और प्रबंधन की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
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