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    Home»झारखंड»झारखण्ड : दुर्वासा मुनि के आज्ञा से युधिष्ठिर ने किया था दुखहरण महादेव की स्थापना
    झारखंड

    झारखण्ड : दुर्वासा मुनि के आज्ञा से युधिष्ठिर ने किया था दुखहरण महादेव की स्थापना

    Team JoharBy Team JoharJuly 27, 2020No Comments2 Mins Read
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    Joharlive Team

    देवघर। सावन का महीना भगवान महादेव को सबसे प्रिय है ।कहते हैं श्रावण मास में ही समुंदर मंथन हुआ था और मंथन के दौरान निकले विष को भोले नाथ हलाहल कर नीलकंठ बनें थे। वहीं मान्यताओं के अनुसार श्रावणी माह में भोले नाथ पर बेलपत्र और जलार्पण से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है।

    बरहाल झारखण्ड की धार्मिक राजधानी बाबाधाम में द्वादश ज्योतिर्लिंग तो विद्धमान है ही पर जिला से 36 किलोमीटर की दूरी पर सारठ प्रखण्ड के सारठ गाँव में एक और ऐतिहासिक और धार्मिक दुखहरण नाथ मन्दिर विद्धमान है ।

    कहते हैं दुर्वासा मुनीं की आज्ञा से युधिष्ठिर ने अजय नदी के सुरम्य तट पर बाबा दुखहरण नाथ महादेव की स्थापना कर विधिवत पूजा अर्चना किया था और दुखःहरण महादेव की कृपा से उन्हें हस्तिनापुर का राज्य प्राप्त हुआ और उनके दुखो का अंत हुआ। बंगला तिथि के अनुसार मन्दिर की स्थापना 1358 ईo में हुआ था।

    तत्पश्चात सारठ के निवासी रामगुलाम साह ने 1952 में इस जगह को मूर्त रूप दिलवाते हुए मन्दिर का निर्माण करवाया वहीं वर्तमान पूजक राजेश राजहंस की मानें तो पांडव जब वनवास काट रहे थे तो उस काल में उनका आगमन इस जगह हुआ था और युधिष्ठिर सहित गदा धारी भीम ने दुखहरण नाथ की पूजा अर्चना किया।

    बाद में आगे चलकर रामगुलाम साह के पुत्र हरि साह ने मां पार्वती के मंदिर का निर्माण करवाया वहीं इस मंदिर के मुख्य पुजारी पण्डित सह क्षेत्र के नामी ज्योतिसाचार्य स्व०हरि राजहंस के साथ साथ विष्णु पत्रलेख के नेतृत्व में पूजा अर्चना सुचारू रुप चलता आ रहा था और अब वर्तमान में उनके वंशज इस मंदिर के मुख्य पुजारी है।

    मन्दिर में श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है और खास कर विशेष अवसर पर श्रद्धालुओं की भीड़ देखने लायक होती है कहते हैं दुखहरण नाथ बाबा से दिल से जो भी मुराद मांगो यहां पूरी होती है।

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