Ranchi : हिंदू धर्म में नाग पंचमी एक पवित्र पर्व है, जो नाग देवताओं को समर्पित है. श्रावण मास शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाने वाला यह पर्व मुख्य रूप से भारत और नेपाल में, गहरा आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है. मान्यता है कि इस दिन नागों की पूजा करने से कुंडली में कालसर्प दोष के दुष्प्रभाव दूर होते हैं. इस वर्ष 29 जुलाई 2025, मंगलवार को नागपंचमी का पर्व मनाया जाएगा. हिंदू संस्कृति में यह दिन नागों के प्रति बड़े धार्मिक उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जाता है. आइये जानते हैं नागपंचमी पर्व का महत्व, मूल तिथि, पूजा मुहूर्त एवं क्यों मनाया जाता है नागपंचमी का पर्व.
नाग पंचमी मूल तिथि और समय
- श्रावण शुक्ल पक्ष पंचमी प्रारंभः 07.54 PM (28 जुलाई 2025)
- श्रावण शुक्ल पक्ष पंचमी समाप्तः 09.16 PM (29 जुलाई 2025)
- पूजा का शुभ मुहूर्तः 05.41 AM से 08.23 AM (29 जुलाई 2025)
नाग पंचमी का धार्मिक महत्व
सनातन धर्म में नाग पंचमी का विशेष महत्व है. हिंदू पौराणिक कथाओं में, नागों को सृजन, विनाश, ब्रह्मांडीय संतुलन और उर्वरता का शक्तिशाली प्रतीक माना जाता है. इसलिए इस दिन हर हिंदू घरों में नागों को देवता के रूप में पूजा जाता है. वस्तुतः नागपंचमी सांपों एवं प्रकृति के संतुलन के साथ उनके संबंधों का सम्मान करने का पर्व है. मान्यता है कि नागपंचमी के दिन सांपों की पूजा करने से नाग देवताओं का आशीर्वाद एवं सुरक्षा प्राप्त होती है. इस दिन उत्तर भारत में तमाम जगहों पर नागपंचमी के मेले का भी आयोजन किया जाता है.
नाग पंचमी की पौराणिक कथा
स्कंद पुराण के अनुसार एक बार नागराज तक्षक ने अर्जुन के पुत्र राजा परीक्षित को डस लिया, जिससे उसकी मृत्यु हो गई. इसका बदला लेने के लिए तक्षक-पुत्र जनमेजय ने समस्त सांपों को खत्म करने हेतु सर्प-यज्ञ अनुष्ठान का आयोजन किया. राजा जनमेजय यज्ञ में तमाम ब्राह्मण ऋषि यज्ञकुंड के समक्ष शक्तिशाली मंत्रों का जाप करने आये. इस अनुष्ठान के जरिये भारी संख्या में सांप यज्ञ कुंड में खींचे जानें लगे. यह देख नागराज तक्षक इंद्र के पास छिप गये, लेकिन अनुष्ठान इतना शक्तिशाली था कि इंद्र भी कुछ नहीं कर सके. अंततः वे सर्पों की रानी देवी मनसा के पास जाकर सर्पों की रक्षा की मांग की. मनसा देवी ने अपने पुत्र अस्तिका को राजा जनमेजय के पास जाकर यज्ञ रोकने का आदेश दिया. अस्तिका राजा के पास गये और यज्ञ रोकने का अनुरोध करने का आदेश दिया. जनमेजय ने ब्राह्मण के अनुरोध पर यज्ञ को रोक दिया. तभी से श्रावण शुक्ल पक्ष की पंचमी को सर्पों की रक्षार्थ नागपंचमी का पर्व मनाया जाता है.
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