Dhanbad : धनबाद के बिरसा मुंडा मेगा स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स ग्राउंड में जूनियर गर्ल्स अंडर-17 झारखंड फुटबॉल टीम का ट्रायल शुरू हो गया है। यह ट्रायल 24 नवंबर तक चलेगा, जिसमें राज्यभर से आई बालिका खिलाड़ी नेशनल टीम में चयन के लिए अपनी प्रतिभा दिखा रही हैं। लेकिन शुरुआत से ही खराब व्यवस्थाओं ने खिलाड़ियों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।
बंजर और सख्त ग्राउंड, चोट का डर
खिलाड़ियों का कहना है कि प्रैक्टिस के लिए उन्हें जिस मैदान पर भेजा गया है, वह लगभग बंजर और बेहद सख्त है। खिलाड़ी चिंतित हैं कि मामूली गिरावट भी उन्हें गंभीर चोट दे सकती है, जिससे उनका करियर खतरे में पड़ सकता है।
महिला खिलाड़ियों के लिए शौचालय भी नहीं
सबसे बड़ी समस्या है महिलाओं के लिए बुनियादी सुविधाओं का अभाव। खिलाड़ियों ने बताया कि ग्राउंड पर शौचालय तक नहीं है, जबकि रहने और खाने की कोई व्यवस्था भी नहीं की गई है। ऐसी स्थिति में कई जिलों से आई खिलाड़ियों के लिए सात दिन का कैंप बेहद कठिन साबित हो रहा है।

खिलाड़ियों ने जताई नाराजगी
नेशनल खिलाड़ी संगीता कुमारी ने कहा कि अगर व्यवस्था सुधर जाए तो झारखंड के पास देश के लिए बेहतरीन खिलाड़ी तैयार करने की क्षमता है। लेकिन वर्तमान सिस्टम इतनी लापरवाही से चल रहा है कि कई बार खिलाड़ियों को ट्रायल की जानकारी तक समय पर नहीं मिलती। उन्होंने साफ कहा कि धनबाद का यह ग्राउंड प्रैक्टिस लायक नहीं है और यहां गंभीर चोट का खतरा हमेशा बना रहता है।
रांची की खिलाड़ी अनुष्का बोलीं स्थिति बेहद खराब
रांची से ट्रायल देने पहुंची अनुष्का कुमारी ने भी सुविधाओं के अभाव पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि ग्राउंड की हालत खराब है और कोई भी खिलाड़ी चोटिल हो सकती है। रहने, खाने और शौचालय तीनों ही सुविधाएं नदारद हैं, जिससे खिलाड़ियों को शारीरिक और मानसिक रूप से परेशान होना पड़ रहा है।
फेडरेशन पर उपेक्षा के आरोप तेज
धनबाद फुटबॉल एसोसिएशन के सचिव फैयाज अहमद और झारखंड टीम के चीफ कोच सुभाष लोक ने झारखंड फुटबॉल फेडरेशन पर गंभीर सवाल उठाए। उनका कहना है कि महिला खिलाड़ियों के लिए वादे तो बड़े किए जाते हैं, लेकिन मैदान पर सिर्फ खानापूर्ति होती है। उन्होंने बताया कि फिलहाल जो भी सहायता खिलाड़ियों को मिल रही है, वह स्थानीय स्तर पर की गई व्यवस्था है।
खिलाड़ियों और अधिकारियों की शिकायतों ने साफ कर दिया है कि इतनी अहम चैंपियनशिप से पहले बुनियादी सुविधाओं की कमी झारखंड में महिला फुटबॉल के भविष्य पर सवाल खड़े कर रही है।
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