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    Home»झारखंड»जामताड़ा»पारंपरिक रूप से मनाया गया करमा पर्व, डाली सजाकर नृत्य गीत पर झुमी बहनें
    जामताड़ा

    पारंपरिक रूप से मनाया गया करमा पर्व, डाली सजाकर नृत्य गीत पर झुमी बहनें

    Bhumi SharmaBy Bhumi SharmaSeptember 3, 2025No Comments2 Mins Read
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    Jamtara : जामताड़ा के नाला प्रखंड क्षेत्र के जामबेदिया, कालाझरिया, बारघरिया, नतुनडीह, जुड़ीडंगाल, भालजुडि़या, भुंईया जोबडा़, हिदलजुडी़, तिलाबनी सहित कई गाँवों में करमा पर्व पारंपरिक रीति-रिवाज और उल्लास के साथ मनाया गया। झारखंड के प्रमुख त्योहारों में शुमार करमा पर्व इस क्षेत्र में भाई-बहन के रिश्ते और प्रकृति के प्रति आस्था का प्रतीक माना जाता है।

    सुबह कुमारी कन्याओं ने अजय नदी व अन्य जलाशयों में स्नान कर बालू से भरे डलिया में कुर्थी, जौ, मूंग, चना और धान बोए। नौ दिनों तक श्रद्धा से जगाए गए जावा को इस अवसर पर उठाया गया। बहनों ने पारंपरिक झुमर नृत्य व गीतों के जरिए अपने भाइयों की सुख-समृद्धि और दीर्घायु की कामना की।

    खोरठा और मगही मिश्रित गीतों में महंगाई की मार, भाई की विदेश में मौजूदगी और भाई-बहन के स्नेह का मार्मिक चित्रण किया गया। गीतों के बोलों में बहन अपने भाई को संदेश भेजती है कि पूजा सामग्री महंगी हो गई है और डाला सजाना मुश्किल है, वहीं भाई सांत्वना देता है कि वह लौटकर बहन का डाला अवश्य सजाएगा।

    गाँव-गाँव में करम डाल गाड़कर पकवान, ककड़ी, चना, पुष्प और धूप अर्पित कर पूजा-अर्चना की गई। खास बात यह रही कि इस पर्व में आज भी ब्राह्मण या पुरोहित की आवश्यकता नहीं पड़ती, बल्कि बहनें स्वयं करम गोसांई से भाई की रक्षा और लंबी आयु की कामना करती हैं।

    तिलाबनी, पायराखोप, जुड़ीडंगाल, जीवनपुर, मोहनपुर और भालजुडि़या जैसे घटवाल बाहुल्य गाँवों में करमा पर्व की विशेष धूम देखने को मिली। पूरे क्षेत्र में नृत्य-गीत और उत्सवी माहौल ने पर्व को और भी रंगीन बना दिया।

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