झारखंड: झारखंड सरकार ने शुक्रवार को सोलहवें वित्त आयोग से केंद्रीय टैक्स में राज्यों की हिस्सेदारी को मौजूदा 41 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने की मांग की है। यह अपील रांची में आयोजित बैठक के दौरान वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगड़िया और उनकी टीम के समक्ष की गई।
इस अहम बैठक में झारखंड के वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर और मुख्य सचिव अलका तिवारी भी मौजूद रहे। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने आयोग से झारखंड के समग्र विकास के लिए विशेष सहयोग की अपील की।
उन्होंने कहा, “झारखंड देश के विकास में खनिज राज्य होने के नाते महत्वपूर्ण योगदान देता है लेकिन इसका खामियाजा भी राज्य को भुगतना पड़ता है जैसे कि पर्यावरणीय क्षति, विस्थापन और ज़मीन का नुकसान।”
सीएम ने केंद्रीय खनन कंपनियों पर लैंड रिक्लेमेशन कार्यों को बिना किसी योजना के करने का आरोप लगाते हुए कहा कि राज्यों को अपनी जरूरतों के अनुसार वित्तीय संसाधनों के उपयोग की स्वायत्तता दी जानी चाहिए।
सोरेन ने आगे कहा कि ‘विकसित भारत’ का सपना तब तक अधूरा रहेगा जब तक राज्यों और गांवों का समुचित विकास नहीं होता। उन्होंने स्वास्थ्य शिक्षा और आजीविका जैसे प्राथमिक क्षेत्रों में विशेष प्रयास की जरूरत पर ज़ोर दिया।
उन्होंने यह भी बताया कि राज्य की बड़ी आबादी कृषि पर निर्भर है और कृषि व इससे जुड़े क्षेत्रों में झारखंड में अपार संभावनाएं हैं।
गौरतलब है कि चालू वित्त वर्ष के लिए झारखंड सरकार ने 1.45 लाख करोड़ रुपये का बजट तैयार किया है जिसमें 62,844 करोड़ रुपये समाज कल्याण कार्यक्रमों के लिए निर्धारित किए गए हैं।
महिला सशक्तिकरण के लिए शुरू की गई लोकप्रिय ‘मुख्यमंत्री मइया सम्मान योजना’ के तहत 13,363 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है जो 18 से 50 वर्ष की महिलाओं की आर्थिक सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लागू की गई है।
इसके अलावा गरीबों को मुफ्त बिजली देने के लिए 5,000 करोड़ रुपये भी आवंटित किए गए हैं।
हाल ही में सीएम हेमंत सोरेन ने कोल बेयरिंग एरिया अधिनियम में संशोधन की मांग भी की थी ताकि खनन के बाद बची जमीन राज्य सरकार को वापस मिल सके। इसके साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई नीति आयोग की बैठक में खनन कंपनियों से 1.40 लाख करोड़ रुपये की बकाया राशि को जारी करने की मांग भी रखी थी।
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