Ranchi : बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा स्टेट बार काउंसिल के चुनाव में नामांकन शुल्क को ₹10,000 से बढ़ाकर ₹1,25,000 किए जाने के फैसले के खिलाफ झारखंड हाईकोर्ट में अधिवक्ता धीरज कुमार ने याचिका दायर की है। उन्होंने इस भारी बढ़ोतरी को अनुचित बताया है और कोर्ट से इस पर रोक लगाने की मांग की है।
आम वकीलों के लिए चुनाव लड़ना होगा मुश्किल
याचिकाकर्ता का कहना है कि नामांकन शुल्क में इतनी अधिक बढ़ोतरी से आम अधिवक्ता चुनावी प्रक्रिया से बाहर हो जाएंगे, जिससे केवल आर्थिक रूप से सक्षम लोग ही चुनाव लड़ सकेंगे। उन्होंने इसे पूंजीवाद को बढ़ावा देने वाला कदम बताया और कहा कि इससे वकीलों की लोकतांत्रिक भागीदारी और उनके राजनीतिक अधिकारों का हनन होगा।
नॉन रिफंडेबल शुल्क पर जताई आपत्ति
धीरज कुमार ने कोर्ट को बताया कि यह नामांकन शुल्क नॉन रिफंडेबल है, जिससे अधिवक्ताओं पर आर्थिक बोझ और भी बढ़ जाएगा। उन्होंने कहा कि जब देश के राष्ट्रपति पद के लिए भी सिर्फ ₹15,000 नामांकन शुल्क लिया जाता है, तो स्टेट बार काउंसिल चुनाव में ₹1.25 लाख की मांग कैसे उचित हो सकती है?

फैसले पर रोक लगाने की मांग
याचिका में अनुरोध किया गया है कि कोर्ट इस मामले पर सुनवाई तक बार काउंसिल ऑफ इंडिया के 25 सितंबर 2025 के पत्र (संख्या 6880/2025) पर रोक लगाए। साथ ही, उन्होंने मांग की है कि पहले की तरह नामांकन शुल्क ₹10,000 ही रखा जाए।
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