बॉलीवुड अभिनेता सोनू सूद से मिले झारखंड के सोनू सूद

झारखण्ड में सुजीत उपाध्याय ने मात्र 28 वर्ष की आयु में अपनी एक अलग पहचान बना ली। जिसके कारण झारखण्ड के लोग उसे सुजीत उपाध्याय के नाम से नहीं, बल्कि उसे ‘सोनू सूद’ के नाम से पुकारने लगे हैं। दरअसल सोनू सूद मुंबई में रहते हैं। सुप्रसिद्ध फिल्म अभिनेता हैं। इन दिनों जरुरतमंदों के लिए काफी सक्रिय रहते हैं। कई बार झारखण्ड के लोगों को भी उन्होंने आर्थिक व अन्य मदद पहुंचाई है। ठीक इसी प्रकार सुजीत उपाध्याय ने भी धर्म व जाति की दीवारों को ढहाकर मानव मात्र की सेवा में खुद को लगा दिया है। जिसका प्रभाव यह पड़ा कि खुद सोनू सूद भी इनसे मिले बिना नहीं रह पाये, जब दोनों एक दूसरे से मिले, तो यह पल झारखण्डवासियों के लिए देखनेलायक था।

जब देश कोरोना से जूझ रहा था। ऐसे में सुजीत उपाध्याय ने भी अपनी ओर से जो बन पड़ा। मानवता की सेवा के लिए यह युवा निकल पड़ा। इस युवक ने 20 हजार से भी अधिक झारखण्डी प्रवासी मजदूरों को उनके घर पहुंचाने में मदद की। 270 जरुरतमंदों का राशन कार्ड बनवाया। रांची में जब लोग दुर्घटनाओं के शिकार हो रहे थे, सुजीत ने करीब 50 लोगों को स्वयं अस्पताल पहुंचाया।

झारखण्ड की करीब पांच सौ लड़कियां फंसी हुई  थी

चूंकि राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने अपने सारे कार्यकर्ताओं को दिशा-निर्देश जारी किया था कि वे जो भी बन पड़े। कोरोनाकाल में लोगों की मदद करने में जुट जाये। इस युवक ने अपने नेता की बातों को जमीन पर उतारने के लिए तनिक देर नहीं की, निकल पड़ा। ज्ञातव्य है कि सुजीत झारखण्ड मुक्ति मोर्चा से वर्षों से जुड़े रहे हैं। सुजीत उपाध्याय ने केरल के एर्नाकुलम जिले में झारखण्ड की करीब पांच सौ लड़कियां फंसी हुई है। उन लड़कियों के लाने के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाई गई।

आज स्थिति यह है कि सुजीत उपाध्याय किसी परिचय के मोहताज नहीं। जितने वे झामुमो में लोकप्रिय है। उतने ही वे अन्य सामाजिक-सांस्कृतिक संगठनों में। सेवा भाव का जहां भी नाम आता है, प्रशासनिक अधिकारियों में भी वे काफी लोकप्रिय है। टीवी यहीं कारण है कि कोई भी प्रशासनिक अधिकारी उनकी बातों को ना नहीं करता, क्योंकि वो जानता है कि सुजीत ने जिस काम के लिए फोन किया हैं, वो जरुर असहाय, जरुरतमंद हैं। इसलिए वे उन्हें सहयोग के लिए निकल पड़ते हैं। जब भी कोरोनाकाल और मानवता की सेवा की बात आयेगी तो निश्चय ही यह युवा अग्रिम पंक्ति में होगा, क्योंकि इस युवा ने बिना किसी के आर्थिक सहयोग के, इसने जो जन-सामान्य की सेवा की है, उसकी जितनी भी प्रशंसा की जाय कम है।

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