शारदीय नवरात्र : नवरात्रि केे पांचवे दिन माता स्कंदमाता की होती है उपासना

आश्विन शुक्ल पक्ष नवरात्रि की पंचमी तिथि 3 अक्टूबर दिन गुरुवार को नव देवियों में पांचवी देवी स्कंदमाता की उपासना होती है जो मोक्ष के द्वार खोलने एवं परम सुखदायी हैं। देवी माँ का पाचवां रूप बुध ग्रह को नियंत्रित करती है, इनकी आराधना से बुध ग्रह के बुरे प्रभाव से मुक्ति मिलती है। स्कंदमाता की चार भुजाएँ हैं। जिसमे कमल पुष्प और वरमुद्रा धारण की हुई हैं। इनका वर्ण शुभ्र है ये कमल के आसन पर विराजमान हैं जिसके कारन इन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है। सिंह इनका वाहन है।

माँ स्कंदमाता की उपासना से भक्त की समस्त इच्छाएँ पूर्ण होती है तथा मृत्युलोक में ही परम शांति और सुख का अनुभव होने लगता है। सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी होने के कारण उपासक अलौकिक तेज एवं कांति से संपन्न हो जाता है। एकाग्रभाव से मन को पवित्र रखकर माँ की शरण में आने का प्रयत्न करना चाहिए।

भोग के रूप में इस दिन स्कन्द माता को केले का नैवेध अर्पित करना चाहिए इससे शरीर स्वस्थ्य रहता है और मन सात्विक होता है।।

नवरात्रि में पाँचवें दिन निम्न मन्त्र का जाप करें-

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

आचार्य प्रणव मिश्रा                      आचार्यकुलम, अरगोड़ा, रांची।       9031249105
Exit mobile version