Hazaribagh : हजारीबाग में वन विभाग की टीम ने एक अहम कामयाबी हासिल करते हुए दुर्लभ पक्षी की तस्करी को समय रहते रोक लिया है। विभाग को गुप्त सूचना मिली थी कि एक वाहन के ज़रिए वन्य जीवों की अवैध तस्करी की जा रही है। इसी सूचना के आधार पर बरही थाना क्षेत्र में एक विशेष चेकिंग अभियान चलाया गया।
इस दौरान एक संदिग्ध कार को रोका गया और जब तलाशी ली गई, तो उसमें से एक बेहद दुर्लभ प्रजाति का पक्षी बरामद हुआ। अंतरराष्ट्रीय बाजार में इस पक्षी की कीमत लाखों में बताई जा रही है।
गिरफ्तारी और पूछताछ जारी
कार से एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है, जिससे पूछताछ की जा रही है। अधिकारियों को संदेह है कि यह व्यक्ति वन्य जीव तस्करों के किसी बड़े नेटवर्क से जुड़ा हो सकता है। इस कार्रवाई से तस्करी के एक गहरे और संगठित जाल तक पहुंचने की संभावना जताई जा रही है।
गौर करने वाली बात यह है कि जिस कार में पक्षी मिला, उस पर महाराष्ट्र की नंबर प्लेट थी, लेकिन जांच में वह फर्जी निकली। इससे यह साफ है कि तस्कर प्रशासन को भ्रमित करने के लिए फर्जी पहचान का सहारा ले रहे हैं।
अंतरराज्यीय और अंतरराष्ट्रीय गिरोह से संबंध का संदेह
प्रारंभिक जांच में यह आशंका भी जताई गई है कि इस तस्करी के तार देश के कई राज्यों या शायद विदेशों से भी जुड़े हो सकते हैं। यह तस्करी एक बड़े और संगठित नेटवर्क का हिस्सा हो सकती है।
दुर्लभ पक्षी की खासियत ने बढ़ाई इसकी कीमत
वन्यजीव विशेषज्ञों के मुताबिक बरामद पक्षी बहुत ही दुर्लभ और वैज्ञानिक दृष्टि से खास है। बताया जा रहा है कि यह पक्षी अपने बच्चों के लिए प्राकृतिक रूप से डायपर जैसी व्यवस्था करता है, जो इसे अनोखा बनाता है। यही कारण है कि यह पक्षी शोधकर्ताओं और अंतरराष्ट्रीय कलेक्टर्स के बीच बेहद लोकप्रिय है, और इसकी अवैध तस्करी जोरों से की जाती है।
पक्षी की सुरक्षित देखभाल शुरू
फिलहाल, पक्षी को वन विभाग की निगरानी में एक सुरक्षित वन्यजीव केंद्र में रखा गया है, जहां विशेषज्ञ इसकी देखभाल कर रहे हैं। विभाग इस पूरे मामले की गहन जांच कर रहा है ताकि इस तस्करी रैकेट की जड़ तक पहुंचा जा सके।
ग्रामीण क्षेत्रों से शुरू होकर विदेशों तक पहुंचता है तस्करी का सफर
झारखंड के कई ग्रामीण इलाकों में यह पक्षी सामान्य रूप से पाया जाता है, लेकिन जानकारी के अभाव और गरीबी की वजह से स्थानीय लोग इन्हें मामूली दामों पर बेच देते हैं। शिकारी इन्हें पकड़कर तस्करों के हवाले कर देते हैं, जो आगे इन्हें शहरों या विदेशों में ऊंची कीमतों पर बेचते हैं।