Ranchi : झारखंड के करीब 18 जिलों में जंगली हाथियों का झुंड अक्सर रेलवे ट्रैक पार करता है, जिससे कई बार हाथियों की ट्रेनों की चपेट में आने से मौत हो जाती है। इस गंभीर समस्या को हल करने के लिए भारतीय रेलवे ने एक बड़ा कदम उठाया है। रेलवे ने अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित इंट्रूजन डिटेक्शन सिस्टम (IDS) विकसित किया है, जिसका ट्रायल सफल रहा है।
कैसे काम करता है AI सिस्टम?
यह सिस्टम रेल ट्रैक के दोनों ओर 30 मीटर के दायरे में लगाया गया है। इसमें ऑप्टिकल फाइबर केबल लगे हैं, जो हाथियों की आवाजाही से होने वाली कंपन को पहचान लेते हैं। जैसे ही हाथी ट्रैक के पास आता है, सिस्टम अलार्म बजाता है और स्टेशन मास्टर को सूचना भेजता है। इसके बाद ट्रेन चालक को वायरलेस के जरिए सतर्क किया जाता है और ट्रेन की गति कम कर दी जाती है। हाथियों के ट्रैक से हटते ही ट्रेन फिर से सामान्य गति से चलती है।
गुजरात से लाया गया प्रशिक्षित हाथी
इस सिस्टम के ट्रायल के लिए गुजरात के जामनगर स्थित वंतारा संस्था से एक प्रशिक्षित हाथी को लाया गया। हाथी को ट्रैक के पास चलाकर सिस्टम की जांच की गई। ट्रायल पूरी तरह सफल रहा।
हाथियों की मौत के आंकड़े
वन विभाग के अनुसार, झारखंड में हर साल 12 से 20 हाथियों की मौत रेल हादसों में होती है। सबसे ज्यादा घटनाएं चक्रधरपुर रेल मंडल में होती हैं। अब इस तकनीक से इन घटनाओं में काफी कमी आने की उम्मीद है।
संयुक्त प्रयास से बड़ा बदलाव
यह सिस्टम अब झारखंड, ओडिशा और अन्य राज्यों के संवेदनशील क्षेत्रों में लगाया जाएगा। रेलवे और वन विभाग मिलकर इस पर काम कर रहे हैं ताकि हाथियों की जान बचाई जा सके और रेल सेवाएं भी सुचारु रहें।
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