Johar Live Desk : रूस के पूर्वी तट पर स्थित कामचटका प्रायद्वीप के पास बुधवार सुबह समुद्र में जोरदार भूकंप आया, जिसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 8.7 मापी गई। यूएस जियोलॉजिकल सर्वे के अनुसार, यह भूकंप सुबह 8:25 बजे (स्थानीय समय) समुद्र के भीतर आया। इसके बाद रूस, जापान, गुआम, हवाई और अलास्का समेत कई देशों में सुनामी की चेतावनी जारी कर दी गई।
रूस-जापान में सुनामी की लहरें, लोग ऊंचे स्थानों पर भेजे गए
भूकंप के तुरंत बाद रूस के कुरील द्वीप समूह और जापान के होक्काइडो इलाके में सुनामी की लहरें उठीं। जापान के नेमुरो तट पर करीब 30 सेंटीमीटर ऊंची लहर देखी गई। वहीं, रूस के सेवेरो-कुरीलस्क तट पर भी लहरें पहुंचीं। राहत की बात यह रही कि किसी के हताहत होने की खबर नहीं है। स्थानीय प्रशासन ने लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेज दिया है।
प्रशांत क्षेत्र में 1 से 3 मीटर ऊंची लहरों की आशंका
प्रशांत सुनामी चेतावनी केंद्र ने बताया कि हवाई, जापान, चिली और सोलोमन द्वीप जैसे देशों के तटीय क्षेत्रों में समुद्र में 1 से 3 मीटर तक ऊंची लहरें उठ सकती हैं। वहीं रूस और इक्वाडोर के कुछ तटीय हिस्सों में इससे भी ज्यादा ऊंची लहरें आने की संभावना है।
कामचटका में मची अफरातफरी, बिजली और मोबाइल सेवा ठप
रूसी समाचार एजेंसियों के मुताबिक, भूकंप के बाद कामचटका के शहरों में अफरा-तफरी मच गई। लोग घर छोड़कर सड़कों पर निकल आए। कुछ लोग बिना जूते या कपड़े के भी भागते नजर आए। भूकंप के झटकों से कई इमारतें हिल गईं, शीशे टूट गए और कुछ इलाकों में बिजली व मोबाइल नेटवर्क ठप हो गया। सखालिन द्वीप के निवासियों को एहतियातन सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है।
अमेरिका के कई हिस्सों में भी अलर्ट जारी
अलास्का के साथ-साथ अमेरिका के कैलिफोर्निया, ओरेगन, वाशिंगटन और हवाई में भी सुनामी अलर्ट जारी किया गया है। प्रशासन ने समुद्र तटों से दूर रहने और सतर्क रहने की अपील की है।
पहले भी आया था बड़ा भूकंप
जुलाई में भी कामचटका के पास समुद्र में कई भूकंप आए थे, जिनमें से सबसे बड़ा 7.4 तीव्रता का था। 1952 में इस क्षेत्र में आए 9.0 तीव्रता के भूकंप से भारी तबाही मची थी, हालांकि तब हवाई में आई 30 फीट ऊंची लहरों के बावजूद कोई जान नहीं गई थी।
कैसे बनती है सुनामी?
विशेषज्ञों के अनुसार, जब समुद्र में 7.5 तीव्रता या उससे ज्यादा का भूकंप आता है, तो सुनामी का खतरा बढ़ जाता है। अगर तीव्रता 7.8 से ज्यादा हो, तो स्थानीय रूप से भी बड़ी-बड़ी लहरें उठ सकती हैं, जो तटीय इलाकों में भारी तबाही मचा सकती हैं।