Kathmandu : नेपाल में भयंकर विरोध प्रदर्शनों के बाद राजनीतिक संकट और गहरा गया है। पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की ने अंतरिम प्रधानमंत्री पद के लिए अपना नाम वापस ले लिया है। अब नेपाल विद्युत प्राधिकरण के पूर्व प्रमुख कुलमान घिसिंग की दावेदारी मजबूत हो गई है। Gen-Z आंदोलन के नेताओं ने ऑनलाइन मीटिंग में सुशीला कार्की को चुना था, लेकिन उन्होंने अपनी साफ-सुथरी छवि के बावजूद नाम हटा लिया।
काठमांडू में कर्फ्यू में ढील
गुरुवार को नेपाल सेना ने काठमांडू घाटी के तीन जिलों—काठमांडू, ललितपुर और भक्तपुर—में कर्फ्यू में आंशिक ढील दी। सुबह 6 बजे से कर्फ्यू हटाया गया, लेकिन सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक प्रतिबंध रहेगा। शाम 5 से 7 बजे तक दो घंटे की ढील मिलेगी, जबकि शुक्रवार शाम 7 बजे से सुबह 6 बजे तक रात्रि कर्फ्यू लागू रहेगा। ढील मिलते ही लोग किराना और अन्य आवश्यक सामान खरीदने बाजारों में उमड़ पड़े, हालांकि सड़कों पर वाहनों की संख्या सीमित रही। धीरे-धीरे सामान्य स्थिति बहाल हो रही है।
सेना ने संभाली कमान
स्थिति नियंत्रित करने के लिए नेपाल सेना ने देशव्यापी कर्फ्यू और धारा 144 लागू कर दी। त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा बंद कर दिया गया, जिससे सैकड़ों विदेशी यात्री फंस गए। हालांकि, बुधवार शाम 6 बजे से उड़ानें फिर शुरू हो गईं। प्रदर्शनों ने प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली को इस्तीफा देने पर मजबूर कर दिया था, जिसमें कम से कम 19 लोगों की मौत हो चुकी है।
जेलों में बगावत, 13,500 कैदी फरार
अराजकता का फायदा उठाकर देशभर की जेलों से 13,500 से अधिक कैदी भाग निकले। बांके जिले के नौबस्ता बाल सुधार गृह में झड़प के दौरान पांच नाबालिग कैदियों की मौत हो गई। सिंधुलीगढ़ जेल से 471 कैदी, जिनमें 43 महिलाएं शामिल हैं, फरार हो गए। कई जेलों में आगजनी और हथियार लूटने की घटनाएं हुईं। इस स्थिति के कारण भारत-नेपाल सीमा पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
प्रदर्शन भ्रष्टाचार, सोशल मीडिया प्रतिबंध और आर्थिक समस्याओं के खिलाफ थे, जो Gen-Z युवाओं के नेतृत्व में चले। नेपाल में अब अंतरिम सरकार गठन की प्रक्रिया तेज हो गई है।
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