Jamshedpur: जमशेदपुर के परसुडीह क्षेत्र में खासमहल से करनडीह चौक तक अंचल प्रशासन की अतिक्रमण हटाओ चेतावनी के बाद लोगों ने स्वेच्छा से अपने झोपड़े, ठेले और अस्थायी दुकानें हटानी शुरू कर दी हैं। वर्षों से फुटपाथ और सड़क किनारे फल-सब्ज़ी व अन्य सामान बेचने वाले इन दुकानदारों ने, बारिश, धूप और ठंड से बचाव के लिए बनाए गए अपने टीन और प्लास्टिक के ढांचे खुद ही तोड़ दिए। इसके चलते सड़कें अब पहले की तुलना में खुली और चौड़ी दिखाई दे रही हैं।
कार्रवाई की निर्धारित तिथि से पहले ही जब लोग अपनी दुकानें हटा चुके थे, उस दिन प्रशासन की टीम मौके पर नहीं पहुंची। लोगों ने पूरे दिन इंतजार किया, लेकिन न तो कोई अधिकारी आया और न ही कोई स्पष्टीकरण मिला। इस रवैये को लेकर स्थानीय नागरिकों में नाराज़गी है।
लोगों ने अंचल अधिकारियों पर भेदभाव का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि प्रशासन केवल कमजोर और गरीब वर्ग के अतिक्रमण पर सख्ती दिखा रहा है, जबकि प्रभावशाली लोगों द्वारा किए गए अवैध निर्माण पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। उदाहरणस्वरूप, प्रखंड कार्यालय के पास एक व्यवसायी द्वारा दो दिनों में किया गया अवैध निर्माण अब तक जस का तस है, जबकि उसकी लिखित शिकायत पहले ही दी जा चुकी है।
साकची बाज़ार में भी बड़े पैमाने पर अतिक्रमण देखा गया है। बिना नक्शा पास कराए कई पुरानी इमारतों पर दो से तीन मंज़िल तक का अवैध निर्माण किया गया है। प्रशासन ने पहले भी वहां कार्रवाई की कोशिश की, लेकिन राजनीतिक दबाव के कारण मामले ठंडे बस्ते में चले गए। कई बार नापी भी कराई गई, पर उसका कोई ठोस परिणाम नहीं निकला।
स्थानीय जनता की मांग है कि अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई निष्पक्ष रूप से होनी चाहिए — चाहे वह किसी गरीब का हो या किसी प्रभावशाली व्यक्ति का। केवल कमजोर वर्ग को निशाना बनाना न्यायसंगत नहीं है। प्रशासन से अपेक्षा है कि वह कानून को सभी पर समान रूप से लागू करे।