Ranchi : उत्तर प्रदेश के इटावा में दो कथावाचकों के साथ कथित जातिगत अत्याचार की घटना पर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। झारखंड प्रदेश राजद के महासचिव सह मीडिया प्रभारी कैलाश यादव ने गुरुवार को प्रेस बयान जारी कर घटना की कड़ी निंदा की और इसे “मनुवादी सोच” का परिणाम बताया।
कैलाश यादव ने कहा कि देश आज़ादी के 75 वर्ष बाद भी जातीय भेदभाव और सामंती मानसिकता से पूरी तरह मुक्त नहीं हो पाया है। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश के इटावा में भागवत कथावाचक मुकुट सिंह और संत सिंह यादव को उनकी जाति पूछकर बेरहमी से पीटा गया, बाल मुंडवाए गए और कथित तौर पर एक ब्राह्मण के मूत्र से “शुद्धिकरण” करने की बात कही गई, जो अत्यंत घृणित और अमानवीय कृत्य है।
“मनुवादी सोच उजागर”
राजद नेता ने आरोप लगाया कि भाजपा शासित राज्यों में दलित, पिछड़े, आदिवासी और वंचित वर्गों के साथ अत्याचार की घटनाएं बढ़ रही हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास” के नारे को ढोंग बताते हुए कहा कि जमीनी स्तर पर वास्तविकता इससे बिल्कुल अलग है।
“चुप्पी निंदनीय”
यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी, झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी और आजसू प्रमुख सुदेश महतो सहित प्रमुख नेताओं की चुप्पी पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि जब समाज में इस तरह के अत्याचार हो रहे हैं, तो इन नेताओं की चुप्पी सामाजिक न्याय के खिलाफ एक खतरनाक संकेत है।
“1990 के दशक की वापसी”
कैलाश यादव ने कहा कि आज जो स्थिति बन रही है, वह 1990 के उस दौर की याद दिलाती है जब दलितों और पिछड़ों को खाट पर बैठने की भी इजाजत नहीं थी। उन्होंने आशंका जताई कि अगर शासन और प्रशासन ने गंभीरता नहीं दिखाई तो देश फिर से मानसिक गुलामी की ओर लौट सकता है।
राजद ने जताया रोष और की निंदा
राजद ने इस घटना को बर्बरता की पराकाष्ठा बताया और कहा कि यह सामाजिक समरसता को बिगाड़ने वाली मानसिकता को दर्शाता है। पार्टी ने देशभर में हो रही ऐसी घटनाओं पर चिंता जताते हुए दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
राजद ने देश के नागरिकों से अपील की है कि वे जातीय भेदभाव और मनुवादी सोच के खिलाफ एकजुट हों और सामाजिक न्याय के लिए आवाज़ उठाएं।
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