New Delhi : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने नई दिल्ली के राष्ट्रपति भवन में जस्टिस डी. वाई. सूर्यकांत को भारत के 53वें चीफ जस्टिस (CJI) के रूप में शपथ दिलाई। इस अवसर पर PM मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सहित कई गणमान्य लोग मौजूद रहे। जस्टिस सूर्यकांत अगले 14 महीने तक देश के सर्वोच्च न्यायिक पद पर रहेंगे। जस्टिस सूर्यकांत ने मौजूदा CJI भीषण आर. गवई की जगह ली है। इससे पहले राष्ट्रपति ने जस्टिस सूर्यकांत को संविधान के आर्टिकल 124(2) के तहत नियुक्त किया था। जस्टिस गवई ने सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ जज को अपना उत्तराधिकारी बनाने की परंपरा निभाई।
जस्टिस सूर्यकांत का करियर :
जस्टिस सूर्यकांत का करियर काफी प्रभावशाली रहा है। उनका जन्म 10 फरवरी 1962 को हरियाणा में हुआ। उन्होंने 1984 में हिसार से अपने कानूनी करियर की शुरुआत की। जुलाई 2000 में वे हरियाणा के सबसे कम उम्र के एडवोकेट जनरल बने और 2001 में सीनियर एडवोकेट के पद पर नियुक्त हुए। 9 जनवरी 2004 को उन्हें पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट का स्थायी जज बनाया गया। अक्टूबर 2018 से मई 2019 तक उन्होंने हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के रूप में कार्य किया। नवंबर 2024 से वे सुप्रीम कोर्ट लीगल सर्विसेज कमेटी के चेयरमैन के रूप में भी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रहे हैं।
CJI-डेजिग्नेट के प्राथमिक बयान :
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट और देश की सभी अदालतों में लंबित मामलों की संख्या कम करना उनकी सबसे बड़ी प्राथमिकता होगी। उन्होंने बताया कि अगले कुछ हफ्तों में 5, 7 और 9 जजों की कॉन्स्टिट्यूशन बेंच लंबित मामलों की सुनवाई के लिए बनाई जाएगी। उन्होंने मीडिएशन और कम्युनिटी मीडिएशन को मजबूत करने की जरूरत पर जोर दिया और कहा कि राज्यों और केंद्र के बीच विवादों को कम करने के लिए एक सकारात्मक माहौल बनाना जरूरी है। उन्होंने AI के इस्तेमाल पर कहा कि इसके फायदे हैं, लेकिन सावधानी जरूरी है।

देश की अदालतों में पेंडिंग मामले :
- कुल पेंडिंग केस : 5.29 करोड़
- जिला और सबऑर्डिनेट कोर्ट : 4.65 करोड़
- हाईकोर्ट : 63.30 लाख
- सुप्रीम कोर्ट : 86,742
जस्टिस सूर्यकांत का लक्ष्य इन लंबित मामलों के निपटारे के लिए अदालतों की कार्यप्रणाली को तेज करना और न्याय प्रणाली को अधिक प्रभावी बनाना है।
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