Ranchi : झारखंड मीठे पानी के मोती उत्पादन के क्षेत्र में तेजी से उभर रहा है। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाइ) के तहत झारखंड सरकार के सहयोग से हजारीबाग को राज्य का पहला मोती खेती क्लस्टर बनाने की योजना है। इसके लिए 22 करोड़ रुपये का निवेश प्रस्तावित है। राज्य में प्रतिवर्ष 77,000 मोतियों का उत्पादन हो रहा है, जिसमें सरायकेला 30,000 मोतियों के साथ अग्रणी है।
ग्रामीण युवाओं और किसानों के लिए नया अवसर
राज्य के ग्रामीण युवाओं और किसानों को मोती पालन का प्रशिक्षण देकर आजीविका का नया साधन उपलब्ध कराया जा रहा है। वर्तमान में झारखंड में 132 मोती पालक किसान हैं, और 842 किसानों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया है। रांची के प्रशिक्षण संस्थान ने हाल ही में 25 किसानों को प्रशिक्षित किया है। मोती उत्पादन रांची, हजारीबाग, खूंटी, सरायकेला, पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम, देवघर और दुमका में हो रहा है।
मैकेनिकल इंजीनियर से मोती पालक बने बुधन सिंह
चाईबासा के तंतनगर प्रखंड के दाड़िमा गांव के बुधन सिंह पूर्ति ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग छोड़ मोती पालन में नया मुकाम हासिल किया है। मेडिकल बायो वेस्ट प्लांट की असफलता के बाद उन्होंने 2014 में रांची के हेहल में मोती पालन शुरू किया। यूट्यूब से जानकारी और सीफा से प्रशिक्षण लेकर उन्होंने इस क्षेत्र में रिसर्च शुरू किया। उनकी कंपनी, पूर्ति एग्रोटेस, अब सालाना 32 लाख रुपये कमा रही है।
बुधन ने सेल के सीएसआर फंड से प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किया, जहां 132 से अधिक किसानों को प्रशिक्षण दिया गया। उन्होंने 3,600 रुपये में स्वदेशी सर्जिकल उपकरण विकसित किया, जो सामान्यतः 25,000 रुपये का होता है। उनके पास 1.7 लाख सीप हैं, और 6.5 लाख रुपये के निवेश से वह 32 लाख रुपये की कमाई की उम्मीद कर रहे हैं।
छोटी जगह, बड़ा मुनाफा
रांची की रोहिणी गौतम, जो स्वयं मैकेनिकल इंजीनियर हैं, ने अपने घर की छत पर मोती पालन शुरू किया। उन्होंने 5 स्विमिंग पूल और 16 ड्रम में 1,500 सीप डाले, जिसमें 1.5 लाख रुपये की लागत आई। रोहिणी ने कोरोना काल में बुधन के फार्म हाउस से प्रशिक्षण लिया और अब वह निवेश का 10 गुना लाभ कमा रही हैं। उनका कहना है कि मोती पालन छोटी जगहों पर भी संभव है, जो छोटे किसानों और युवाओं के लिए बेहतर अवसर है।
50 रुपये की लागत, 150 रुपये से अधिक की कमाई
एक सीप को ढाई साल तक पालने में 35-50 रुपये की लागत आती है, जबकि मोती की बिक्री 150 रुपये से लेकर 1,500 रुपये तक होती है। ए-ग्रेड मोती, जिसमें 5-6 लेयर होती हैं, की कीमत सबसे अधिक होती है। सीप में तांबे का न्यूक्लियस डालकर मोती तैयार किया जाता है।
हजारीबाग क्लस्टर की योजना
मत्स्य विभाग के निदेशक डॉ. एचएन द्विवेदी ने बताया कि नैबकांन (नाबार्ड कंसल्टेंसी सर्विसेज) हजारीबाग क्लस्टर के लिए कार्य योजना तैयार कर रहा है। जल्द ही यह क्लस्टर विकसित होगा, जो राज्य में मोती उत्पादन को और बढ़ावा देगा।
जिलों में मोती उत्पादन :
- सरायकेला : 30,000
- रांची : 15,000
- पश्चिमी सिंहभूम : 10,000
- हजारीबाग : 8,000
- पूर्वी सिंहभूम : 6,000
- खूंटी : 3,000
- दुमका : 3,000
- देवघर : 2,000
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