Ranchi : झारखंड में अब बिना मान्यता के चल रहे निजी स्कूलों पर सरकार सख्ती करने जा रही है। झारखंड हाईकोर्ट के आदेश के बाद राज्य सरकार ने “निशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार” नियमावली में संशोधन कर दिया है। इसके तहत अब सभी निजी स्कूलों को मान्यता लेना अनिवार्य कर दिया गया है।
राज्य में करीब 45,000 निजी स्कूल बिना मान्यता के चल रहे हैं, जो शहरी और ग्रामीण इलाकों में गरीब बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं। हालांकि, अब इन्हें भी सरकारी मान्यता लेनी होगी।
क्या है समस्या?
इन स्कूलों को मान्यता लेने में कई अड़चनें आ रही हैं। खासकर 2019 में सरकार द्वारा बनाए गए नियम इतने कठिन हैं कि छोटे स्कूलों को मान्यता मिलना मुश्किल हो गया है।

- जमीन की शर्त: ग्रामीण क्षेत्र में मिडिल स्कूल के लिए 1 एकड़ और शहरी क्षेत्र में 75 डिसमिल जमीन की जरूरत बताई गई है।
- लीज की समस्या: स्कूल की जमीन कम से कम 30 साल के लिए रजिस्टर्ड या लीज पर होनी चाहिए। लेकिन झारखंड में लागू CNT और SPT एक्ट के कारण आदिवासी जमीन पर सिर्फ 5 साल की लीज ही दी जा सकती है।
- यू-डाइस कोड: कई स्कूलों के पास अभी तक यू-डाइस (UDISE) कोड नहीं है, जो मान्यता के लिए जरूरी है।
एसोसिएशन की मांगें
झारखंड प्राइवेट स्कूल एंड वेलफेयर एसोसिएशन ने सरकार के सामने कुछ अहम मांगे रखी हैं:
- जमीन की अनिवार्यता को खत्म किया जाए और स्कूल की संरचना, कमरे की साइज और छात्र संख्या के आधार पर मान्यता दी जाए।
- CNT और SPT एक्ट के तहत आने वाली जमीनों को उपायुक्त के माध्यम से 30 साल का लीज दिलाया जाए।
- कक्षा के कमरे की साइज छात्र संख्या के अनुसार तय की जाए।
- जिन स्कूलों को अभी तक UDISE कोड नहीं मिला है, उन्हें जल्द से जल्द कोड जारी किया जाए।
राज्य शिक्षा विभाग ने सभी स्कूलों से जल्द से जल्द ऑनलाइन आवेदन कर मान्यता लेने की अपील की है।