ऐमन अफरोज
रांची। झारखंड सरकार कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए कई प्रयास और ठोस कदम उठा रही हैं। राज्यभर में आंकड़ा दिन पर दिन बढ़ते हुए कुल 59 मामले सामने आ चुके है। वहीं, राजधानी में सिर्फ यह संख्या 35 हो चुका हैं। लॉक डाउन 2.0 में जहाँ सीमाएं सील है। वहीं, आम लोगो को घरों में रहने की सख्त हिदायत है। ऐसे में रोजमर्रा के काम धंधे ठप पड़े हुए हैं। इसी बीच रमजान उल मुबारक महीना भी शुरू हो गया है। रोजेदारों और रमज़ान के महीने में कमाई करने वाले छोटे से लेकर बड़े दुकानदारों पर खास असर देखने को मिल रहा है। रांची का एक मुस्लिम बहुल्य इलाका मांडर में आम जन जीवन पूरी तरह से ठप हो जाने से लोगों में मायूसी देखी जा सकती है। ग्रामीण इलाकों में भी मज़दूरों और दिहाड़ी लोगों पर लॉक डाउन का भारी असर देखने को मिल रहा है।
- पहले की तरह नहीं सजेगी दस्तरख्वान
लॉक डाउन के चलते मांडर बाज़ार में रमज़ान के मौके पर सजने वाली दुकाने भले ही न खुलें पर इस पाक महीने की रौनक लोगों के चेहरे पर देखने को ज़रूर मिल रहीं हैं। बेबी खातुन नामक महिला ने बातचीत में कहा कि इस बार रमज़ान में दस्तरख़ानें नहीं सज पाएंगी। क्योंकि न तो कमाई हो पा रहा है और न ही ठीक तरह से सामान ही मिल रहा है। ऐसे में मनचाही चीजें बना नहीं पाएंगे। उनका परिवार हर निवाले की बरक़त के लिए अल्लाह का शुक्रगुज़ार है। वो कहतीं है की हम दुआ करेंगे कि कोरोना वायरस जल्दी ख़त्म हो और ईद की रौनक फिर से बहाल हो।
- ईद पर भी पड़ सकता है असर
अब देखना है कि आने वाले दिनों में ही पता चलेगा कि ईद के वक़्त तक कोरोना संक्रमण की स्थिति क्या रहेगी। लोगों के रमज़ान में घर पर रह कर इबादत करने का जज़्बा देख कर लगता है, कोरोना संक्रमण की लड़ाई में पूरी तरह सभी सरकार के साथ खड़े हैं।
वहीं, दूसरी ओर मांडर के दुकानदार ने बताया कि लॉक डाउन का असर कारोबार और जेब पर पड़ रहा है। इस बार रमज़ान का महीना फीका रहेगा। दुकानदारों के साथ साथ लोगों को भी कई परेशानियों से रूबरू होना पड़ेगा।
- घर में अदा करे नमाज
मौलाना बताते है की रोजेदार इस बार रमज़ान के महीने में मस्जिदों में नमाज़ और तराबी पढ़ने का सवाब नहीं कमा सकेंगे। अभी हालात के हिंसाब से उन्हें घरों में ही इबादत करना चाहिए। जरूरत पड़ने पर ही घरों से निकले।