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    Home»झारखंड»अयोग्य राज्य सरकार ने खाली किया खजाना, जनता त्रस्त: जयंत सिन्हा
    झारखंड

    अयोग्य राज्य सरकार ने खाली किया खजाना, जनता त्रस्त: जयंत सिन्हा

    Team JoharBy Team JoharNovember 24, 2020No Comments6 Mins Read
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    Joharlive Team

    रांची। कांग्रेस-झामुमो की सरकार को अंधेर नगरी चौपट राजा की उपाधि देते हुए भारतीय जनता पार्टी के हजरीबाग सांसद व पुर्व केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा ने सरकार पर हमला करते हुए कहा कि दिशाविहीन हेमन्त सरकार ने खजाना खाली किया है। अपनी अयोग्यता के कारण विफल है जे.एम.एम, कांग्रेस की सरकार। 2020-21 के खराब बजट से कैपेक्स 29.8% घटा और राजस्व व्यय 10.6% बढा। उधार में 8.3% की कमी हुई, किंतु जे.एम.एम. कांग्रेस सरकार द्वारा उपलब्ध संसाधनों का उचित उपयोग नहीं किया गया।
    2020-21 के बजट में कैपेक्स में 29.8% की कमी आई जिसमें कैपिटल आउटले में 32.7% की गिरावट शामिल
    है। यह दर्शाता है कि अस्पतालों, सड़को, पुलों जैसी संपत्तियों के निर्माण पर कम खर्च किया गया। ग्रामीण विकास (45%), सिंचाई (45%) और परिवहन (27%) जैसे क्षेत्रों में आवंटन में भारी कमी देखी गई।

    उन्होंने कहा कि कोविड महामारी के समय जहाँ स्वास्थ्य सुविधाओं व इंफ्रास्ट्रक्चर को सुदृढ़ करना चाहिए, सरकार उसके विपरीत कैपेक्स को कम कर चल रही परियोजनाओं को भी लंबित छोड़ रही है। हजारीबाग, दुमका, पलामू, जमशेदपुर के 500 बेड वाले अस्पताल इस विफलता का जीवंत उदहारण हैं। कोविड के दौरान, राज्य सरकार विशेष संसाधन जुटाने में विफल रही। इसके अलावा, उचित संसाधन जुटाए जाने की कमी, सीमित उधारी, विद्यमान ऋण क्षमता के उपयोग में असमर्थता (राजकोषीय घाटा और कर्ज-से-जी.एस.डी.पी. दोनों अनुपात क्रमशः एफआरबीएम 3% और 30% के भीतर है) भी महामारी से निपटने के क्रम में आर्थिक प्रतिक्रिया की कमी का कारण बनी।

    राज्य सरकार का अक्षम वित्तीय प्रबंधन झारखंड की इस परिस्थिति का जिम्मेदार

    उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की राजस्व संरचना इस दुर्दशा का विस्तृत उदाहरण है। केंद्र से मिली प्राप्तियों के बावजूद, राज्य सरकार अपने उपलब्ध संसाधनों का प्रभावी ढंग से उपयोग नहीं कर पाई है। 2020-21 के लिए कुल राजस्व प्राप्ति 75,309 करोड़ होने का अनुमान है जो 2019-20 के संशोधित ऑकड़ों में 3.4% की वृद्धि है। इसमें से केवल 33,490 करोड़ (44%) राज्य को अपने स्वयं के संसाधनों के माध्यम से जुटाने हैं। जबकि 41,819 करोड़ (56%) केंद्र से अनुदान के रूप में और राज्य के कर के हिस्से के रूप में आएगा।
    15वें वित्त आयोग की केंद्र द्वारा राज्यों को हस्तांतरण की श्रेणी के अंतर्गत झारखंड के फंड में 26% की वृद्धि हुई है जिससे ₹20,593 करोड़ (वित्तीय वर्ष 19 संशोधित अनुमान) की राशि बढ़कर 25,980 करोड़ हो गयी है। इस प्रकार, कुल मिलाकर, 15वें वित्त आयोग की सिफारिशें केंद्र द्वारा राज्य में अधिक राशि आवंटन सुनिश्चित कर रही है।

    एन.डी.ए. सरकार ने भरा था खजाना और मजबूत आर्थिक स्थिति देकर गयी थी

    उन्होंने कहा कि रघुवर दास के एन.डी.ए. सरकार के दौरान, राजस्व प्राप्तियों में लगातार वृद्धि हुई। 2018-19 की तुलना में 2019-20 के लिए राजस्व प्राप्तियों में 29.7% की वृद्धि हुई। इसी अवधि के लिए पूंजी प्राप्तियों में भी 28.8% की वृद्धि हुई।
    एन.डी.ए. की डबल इंजन सरकार ने राज्य में सुनिश्चित किया कि वित्तीय वर्ष 2019-20 में कर्ज व जी.एस.डी.पी.
    अनुपात 30% की सीमा से नीचे, 27.1% की दर पर रहे।
    इसी दौरान रेवेन्यू सरप्लस दर जी.एस.डी.पी. की 1.91% रही। एफ.आर.बी.एम, एक्ट के तहत झारखंड ने
    सफलतापूर्वक राजस्व घाटे को खत्म कर आय में वृद्धि की थी। इस दौरान राजस्व घाटा जी.एस.डी.पी. के 2.28% रहा, जो एफ.आर.बी.एम. एक्ट के 3% दर की सीमा के अंदर थी।
    उन्होंने कहा कि एन.डी.ए. सरकार के रिफॉर्म के कारण पिछले 5 वर्षों में खनन से होने वाले लाभों में लगातार वृद्धि हुई। 2020-21 की अनुमानित खनन रसीद राशि 8,000 करोड़, झारखंड की कुल राजस्व प्राप्ति का 15.6% है।

    इसके अलावा एन.डी.ए. सरकार के विकासशील उपायों के फलस्वरूप जिला खनिज फाउंडेशन ट्रस्ट (DMFT) और
    राष्ट्रीय खनिज फाउंडेशन ट्रस्ट (NMFT) से 2019-20 का राजस्व संग्रह क्रमश: 1,394 करोड़ और 92 करोड़
    था जिसमें पिछले वर्षों में लगातार वृद्धि देखी गई थी।

    वित्त प्रबंधन की गाड़ी पटरी पर नहीं आई तो राज्य और जनता बहुत तकलीफ में आ सकते हैं

    उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने कोरोना काल में राज्यों के समर्थन हेतु वित्तीय वर्ष 2020 के लिए जीएसडीपी 3% से 5% तक कर राज्यों के लिए उधार सीमा बढ़ा दी है। अतिरिक्त 2% उधार कुछ राज्य स्तर पर बिजली वितरण, इज ऑफ डूइंग बिज़नेस, वन नेशन वन राशन कार्ड आदि से जुड़ा हुआ है। राज्य सरकार को महामारी की आपदा को अवसर में बदलते हुए वित्तीय क्षेत्र विस्तार और प्रभावी प्रशासन सुनिश्चित करना चाहिए।

    भाजपा के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश सरकार में माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने 1,000 करोड़ के
    COVID फण्ड की घोषणा की। उत्तर प्रदेश ने covID की आपदा को एक अवसर के रूप में परिवर्तित कर अपने

    संसाधनों को संचालित करने और त्वरित विकास को बल देने का काम किया है। उत्तर प्रदेश ने विशेष पैकेज
    का निर्माण भी किया है ताकि कंपनियों को प्रोत्साहन प्रदान किया जा सके और राज्य को निवेश और उत्पादन
    हेतु चीन के विकल्प के रूप में तैयार किया जा सके।

    राज्य सरकार को केंद्र सरकार के साथ समन्वय स्थापित करना चाहिए और जी.एस.टी. मुआवजे के लिए विशेष
    उधार लेने वाले रास्ते बनाने चाहिए। उत्तर प्रदेश., मध्य प्रदेश, बिहार, ओडिशा जैसे राज्यों ने जी.एस.टी. मुआवजे
    के उपलब्ध विकल्पों में विकल्प चुना है और अपनी विकास योजनाओं के साथ निर्णायक रूप से आगे बढ़ चुके हैं।
    दूसरी ओर झारखंड, राज्य सरकार द्वारा लिए गए कमजोर निर्णयों के कारण पीछे रह गया है

    कैपेक्स को कम नहीं करना: राजस्व व्यय को कम करने के लिए कैपेक्स को कम करने के बजाय, सरकार अपने बाजार उधार को बढ़ा सकती है और पिछली सरकार द्वारा अनुशासित वित्तीय क्षेत्र का बेहतर उपयोग कर सकती है।

    ओडिशा जैसे राज्यों ने व्यय युक्तिकरण किया है। इनमें नई परियोजनाओं को शुरू करने, यात्रा और वाहन पर खर्च में कटौती और स्थापना व्यय को युक्तिसंगत बनाने पर प्रतिबंध शामिल है।
    covID राहत के लिए कोई कार्यक्रम नहीं बनाकर झारखंड सरकार ने लोगों के साथ अन्याय किया है। सरकार
    चाहती तो किसानों, श्रमिकों और COVID फ्रंटलाइन वर्कर्स को अधिक संसाधन प्रदान कर सकती थी। यह संसाधन
    जुटाकर, अतिरिक्त उधार लेकर, और जी.एस.टी. क्षतिपूर्ति की कमी हेतु उपलब्ध विशेष उधार का लाभ लेकर संभव
    किया जा सकता था। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के निर्णायक नेतृत्व में केंद्र सरकार ने सभी राज्य
    सरकारों को हर संभव सहायता प्रदान की। हर दूसरे राज्य ने झारखंड की तुलना में बेहतर प्रबंधन किया।
    इन सभी कार्यक्रमों का लाभ उठाने के बजाय, झारखंड सरकार ने सदी में एक बार आने वाले इस स्वास्थ्य और
    आर्थिक संकट के दौरान जनता का साथ छोड़ दिया है। झारखंड की जनता इस सरकार को कभी माफ नहीं करेगी।
    इस सरकार की नीतियां इतिहास में विफलता के उदाहरण के रूप में जीवित रहेंगी। प्रेसवार्ता में प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव एवम मीडिया प्रभारी शिवपूजन पाठक भी उपस्थित थे।

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