Ranchi : उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड़ के इस्तीफे को लेकर देशभर में चर्चाओं का दौर तेज हो गया है। इस पर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के महासचिव और मीडिया प्रभारी कैलाश यादव ने मंगलवार को एक बयान जारी करते हुए केंद्र सरकार और भाजपा पर तीखा हमला बोला है। राजद नेता कैलाश यादव ने कहा कि “धनकड़ ने इस्तीफा दिया नहीं, उनसे दिलवाया गया। मोदी शासन में जो मन की बात सुनेगा, वही कुर्सी पर रहेगा।” उन्होंने इस घटनाक्रम को देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए चिंताजनक बताया और कहा कि ऐसा पहली बार हुआ है कि कोई उपराष्ट्रपति अचानक पद से इस्तीफा दे।
कैलाश यादव ने दावा किया कि उपराष्ट्रपति को लंबे समय से सम्मान नहीं दिया जा रहा था। भाजपा नेता उनकी बातों की अनदेखी कर रहे थे। आवश्यक बैठकों में उपराष्ट्रपति को नजरअंदाज किया जाता था। इसलिए, उन्होंने स्वाभिमान और अपमान के बीच स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए राष्ट्रपति को इस्तीफा सौंप दिया।
राज्यसभा की घटना का जिक्र :
यादव ने बताया कि हाल ही में राज्यसभा में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चर्चा की मांग के दौरान नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने उपराष्ट्रपति से इस पर चर्चा कराने की अपील की थी। उपराष्ट्रपति ने नेता सदन जेपी नड्डा की ओर इशारा किया कि वे जवाब दें, लेकिन नड्डा ने कहा कि “इस विषय की कोई भी बात सदन के रिकॉर्ड में नहीं जाएगी।” कैलाश यादव ने इसे उपराष्ट्रपति के पद और सदन की गरिमा का सीधा अपमान बताया।
सुप्रीम कोर्ट और मद्रास हाईकोर्ट की टिप्पणी :
कैलाश यादव ने कहा कि ईडी (ED) के दुरुपयोग को लेकर सुप्रीम कोर्ट और मद्रास हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि कर्नाटक सीएम की पत्नी बीएम पार्वती को ईडी द्वारा समन भेजा गया, जबकि हाईकोर्ट पहले ही समन रद्द कर चुका था। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने ईडी को राजनीतिक हथियार न बनने की सख्त चेतावनी दी।
लोकतंत्र पर खतरा :
राजद नेता ने कहा कि मोदी सरकार और भाजपा शासित राज्यों में लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर किया जा रहा है। अधिकारियों, पत्रकारों और कर्मचारियों की स्वतंत्रता पर हमला हो रहा है। संवैधानिक व्यवस्थाओं की अनदेखी और अपमान से देश के लोकतंत्र को खतरा है।
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