Ranchi : आज 30 जून को झारखंड समेत पूरे देश में हूल दिवस मनाया गया। यह दिन 1855 में सिदो-कान्हू के नेतृत्व में हुए संथाल विद्रोह की याद में मनाया जाता है। यह आंदोलन जल, जंगल, जमीन और आदिवासी अस्मिता की रक्षा के लिए अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ लड़ा गया था। इस दिन को आदिवासी समाज अपने स्वाभिमान और बलिदान के प्रतीक के रूप में याद करता है।
राष्ट्रपति ने दी श्रद्धांजलि
इस अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने सिदो-कान्हू, चांद-भैरव, फूलो-झानो समेत सभी वीर सेनानियों को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा, “उनका साहस और बलिदान हम सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है।”
हूल दिवस पर, मैं सिदो-कान्हू, चांद-भैरव, फूलो-झानो और संथाल विद्रोह के अन्य सभी वीर सेनानियों को श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं। उनके अदम्य साहस तथा अन्याय के विरुद्ध उनके संघर्ष की अमर गाथाएं देशवासियों के लिए प्रेरणा का अक्षय स्रोत हैं। उनके त्याग और बलिदान को लोग सदैव याद रखेंगे।
— President of India (@rashtrapatibhvn) June 30, 2025
राज्यपाल ने भी किया नमन
झारखंड के राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने भी वीर सेनानियों को नमन करते हुए कहा कि हूल दिवस पर सिदो-कान्हू और अन्य वीर-वीरांगनाओं का त्याग भावी पीढ़ियों को अन्याय के खिलाफ खड़े होने की प्रेरणा देता रहेगा।
‘हूल दिवस’ के अवसर पर संथाल विद्रोह के महान सेनानियों सिद्धो-कान्हू, चांद-भैरव, फूलो-झानो व अन्य वीर-वीरांगनाओं को कोटिशः नमन।
ब्रिटिश हुकूमत के विरुद्ध उनका संघर्ष एवं गौरवगाथाएं भावी पीढ़ियों को अन्याय के विरुद्ध संघर्ष तथा मातृभूमि की सेवा हेतु सदैव प्रेरित करती रहेंगी। pic.twitter.com/LGLK10Msas
— Governor of Jharkhand (@jhar_governor) June 30, 2025
हूल दिवस बना संघर्ष और गर्व का प्रतीक
हूल दिवस न सिर्फ एक ऐतिहासिक घटना है, बल्कि यह आदिवासी समाज की चेतना और आत्मसम्मान की पहचान भी है। आज पूरा झारखंड अपने वीरों को याद कर गौरव महसूस कर रहा है।
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