
Ranchi : रांची विश्वविद्यालय में कुरमाली भाषा और साहित्य के शोधार्थी पीएचडी में नामांकन नहीं करा पा रहे हैं, जबकि उन्होंने NET/JRF की पात्रता भी प्राप्त कर ली है। इस गंभीर समस्या को लेकर शुक्रवार को छात्रों ने विश्वविद्यालय के कुलपति और डीएसडब्ल्यू को ज्ञापन सौंपकर जल्द समाधान की मांग की है।
क्या है समस्या?
छात्रों का कहना है कि कुरमाली भाषा में शोध निर्देशन करने वाले शिक्षक बहुत कम हैं। फिलहाल केवल दो स्थायी शिक्षक हैं, जिनमें से एक ही शोध निर्देशन के लिए अधिकृत है, लेकिन उनकी सीटें पहले से भर चुकी हैं। इसलिए नए शोधार्थियों को पीएचडी पंजीकरण का मौका नहीं मिल रहा है।
संकाय में बदलाव से बढ़ी समस्या
पहले कुरमाली भाषा मानविकी संकाय के अंतर्गत थी, जहां छात्रों को हिंदी, संस्कृत और अन्य मानविकी विषयों के प्रोफेसरों से भी शोध निर्देशन मिलता था। लेकिन अब इसे जनजातीय और क्षेत्रीय भाषा संकाय में स्थानांतरित कर दिया गया है, जिससे शोध निर्देशन में और भी कठिनाई आई है।
छात्रों की अपील
NET/JRF पास करने के बाद भी पीएचडी में दाखिला न मिलने से छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। छात्र अभिषेक कुमार, प्रदीप महतो, अमन कुमार महतो, बंटी महतो, आयुष नंदन सहित अन्य शोधार्थी कुलपति से तुरंत हस्तक्षेप करने की मांग कर रहे हैं।
मुख्य मांग क्या है?
छात्र चाहते हैं कि NET/JRF पास करने वाले कुरमाली भाषा के शोधार्थियों को मानविकी संकाय के प्रोफेसरों से भी शोध निर्देशन की अनुमति दी जाए। इससे उनकी पढ़ाई में सहूलियत होगी और शोध कार्य प्रभावित नहीं होगा।
भाषा और संस्कृति के लिए खतरा
छात्रों ने चेतावनी दी है कि अगर समस्या का समाधान नहीं निकला तो कुरमाली भाषा और साहित्य का विकास रुक सकता है। इससे योग्य शोधार्थी निराश होकर अन्य विषयों की ओर जाएंगे या शोध छोड़ देंगे, जो भाषा-संस्कृति के लिए नुकसानदेह होगा।
कुलपति और डीएसडब्ल्यू से उम्मीद
छात्रों ने विश्वविद्यालय प्रशासन से आग्रह किया है कि वे जल्द से जल्द इस समस्या का समाधान करें और नए सत्र से शोध पंजीकरण की प्रक्रिया आसान बनाएं।