आदिवासी-मूलवासी के मन में घोर निराशा, इस बार एनडीए की विदाई तय : सुप्रियो भट्टाचार्य

रांची: सिंहभूम का इलाका हो, पलामू हो या चतरा हो, वहां के मूलवासी-आदिवासियों ने अपना मन बना लिया है. पिछले 10 साल के प्रशासक और उनके अरमानों से खेलने वाले जो लोग हैं, उन्हें अब दोबारा चुन कर वापस सत्ता में नहीं लाएंगे. उनसे लोग व्यथित हैं. बीजेपी के 10 सालों तक जो प्रतिनिधि रहे हैं उनके प्रति इन सभी के अंदर घोर आक्रोश है. उक्त बातें झामुमो के केंद्रीय महासचिव सह प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने पार्टी कार्यालय में प्रेस वार्ता में कहीं. उन्होंने कहा कि बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व के द्वारा जिस भाषा का प्रयोग किया जा रहा है उसे लेकर भी आक्रोश है. बीजेपी के पास सांप्रदायिक मुद्दा छोड़ और कोई मुद्दा नहीं है.

धर्म पर ही बात करना है तो आदिवासी सरना धर्म कोड की करें 

उन्होंने कहा कि एनडीए की विदाई तय है. अपनी हार को लेकर क्या बीजेपी के अध्यक्ष और प्रदेश अध्यक्ष डर गए हैं, सहम गए हैं. उन्होंने बीजेपी को घेरते हुए कहा कि बीजेपी के लोग रोजगार पर नहीं बोलते हैं. 2026 में ओलंपिक करवाएंगे, क्या यह कोई मुद्दा है. रोजगार पर कौन बोलेगा, महिलाओं की सुरक्षा पर कौन बोलेगा, देश के असली मुद्दों पर कौन बोलेगा. हम बात करते हैं मुद्दों की, यह बात करते हैं धर्म की. उन्होंने कहा कि धर्म में हमारी आस्था है और अगर धर्म पर ही बात करना है तो आदिवासी सरना धर्म कोड पर कौन बात करेगा. उन्होंने कहा कि सब जानते हैं कि झारखंड में क्या-क्या हुआ है. हमारे नेता हेमंत सोरेन के साथ क्या किया गया है. लगातार ED के द्वारा दमनकारी कार्य हो रहा है. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि अब तो लगता है आने वाले दिनों में मीडिया के लिए यह खबर होगी कि आज के दिन ED की कोई रेड नहीं हुई है.

400 फिट अंदर गाड़ देने वाला बयान राजनीतिक 

झामुमो के नेता के द्वारा पीएम मोदी को 400 फिट अंदर गाड़ देने के सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि बहुत तरस आता है बीजेपी के सोच पर. हमारे जो कार्यकर्त्ता हैं, उन्होंने चुनावी सभा में इन बातों को बोला है और चुनावी सभा में राजनीतिक बातें होती हैं. भाजपा को यह बताना चाहिए कि प्रधानमंत्री ने संसद में किस हैसियत से कह दिया कि अबकी बार 400 की ऊपर सीट आएंगे. हमारे कार्यकर्ता का कहने का मतलब था कि 400 फीट भाजपा को नीचे कर देंगे, हमारे  नेता नजरुल का कहने का यही आशय था. सुप्रियो ने इसे राजनैतिक भाषा करार दिया.

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