झारखंड में भाषा को लेकर विवाद, भोजपुरी एकता मंच ने झारखंड सरकार को दी चेतावनी

रांची: झारखंड में सीएम होरन सोरेन की ओर से भोजपुरी, अंगिका और मगही वाले लोगों को लेकर दिए बयान को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. राज्य के मुख्यमंत्री के दिए बयान को लेकर विपक्षी पार्टियां और झारखंड में बसे भोजपुरी समाज के लोगों ने विरोध का स्वर ऊंचा कर दिया है.

रांची में भोजपुरी एकता मंच की ओर से रविवार को एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें रांची के लोकप्रिय विधायक सीपी सिंह भी शामिल हुए. विधायक सीपी सिंह ने कहा कि भोजपुरी, मगही और अंगिका भाषा की सिफारिश वह राज्य गठन के बाद से ही कर रहे हैं. क्योंकि झारखंड में भोजपुरी, मगही और अंगिका भाषा बोलने वाले लोगों की संख्या अत्यधिक है.


विधायक सीपी सिंह ने हेमंत सोरेन के बयान की निंदा करते हुए कहा कि जिस तरह से जेपीएससी और अन्य परीक्षा में उर्दू और स्थानीय भाषा को तवज्जो देते हुए भोजपुरी भाषा को दरकिनार किया गया है इससे साफ प्रतीत होता है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भाषा का राजनीतिकरण कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि क्योंकि मुख्यमंत्री के लिए सिर्फ स्थानीय भाषा के लोग ही नहीं बल्कि सभी भाषा के लोग उनकी जनता है और सभी का ख्याल रखना उनकी जिम्मेदारी है.

भोजपुरी एकता मंच के लोगों ने एक स्वर में कहा कि अगर झारखंड की सरकार बिहार से आए लोगों को तवज्जो नहीं देगी तो आने वाले समय में सरकार को इसका करारा जवाब मिलेगा. बिहार से अलग होने के बाद झारखंड राज्य का निर्माण हुआ. जिसमें भोजपुरी, मगही और अंगिका बोलने वाले लोग भी ढेरों संख्या में झारखंड आ गए.

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