Ranchi: राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की ओर से जमीन के बदले रेलवे में नौकरी दिलाने संबंधित घोटाले में सीबीआई की चार्चशीट पर, झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के केन्द्रीय महासचिव सुप्रियो भटटाचार्य ने सवाल उठाया है।
उन्होंने सोमवार को पार्टी के कैंप कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्त्ता में मोर्चा के कार्यालय में कहा है कि आगामी 11 अक्टूबर से बिहार विधानसभा चुनाव शुरू होनेवाला है और चुनाव शुरू होने से महज एक दिन पूर्व की गई यह कार्रवाई राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को जानबूझकर परेशान करने की है।
उन्होंने कहा कि सीबीआई ने बिहार में सबसे पहले वर्ष 2017 को एक घोटाला ट्रेस किया और बिहार की प्रमुख राजनीतिक राजद दल को घेरा गया। इसमें राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के परिवार को मुख्य रूप से आरोपित बनाया गया। इस घोटाले में रेलवे के भी कुछ पदाधिकारियों के नाम को जोडा गया और फिर इसपर भाजपा की ओर से एक नैरेटिव चलाते हुए घोटाले को लैंड फॉर जॉब स्कैम का नाम दे दिया गया।

उन्होंने कहा कि सोचने वाली बात है कि राष्ट्रीय एवं अंतर्रराष्ट्रीय स्तर पर बतौर रेलवे मंत्री रहते लालू यादव ने कई बेहतर कार्य किया। इसे देखते हुए लालू यादव के किए कार्यों की राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा हुई और कई लोगों ने उनके किए गए कार्यों पर शोध भी किया। बावजूद इसके जानबूझकर लालू यादव के परिवार को परेशानी में डाला जा रहा है। रेलवे में हुई नियुक्तियों को लेकर राजद के खिलाफ केस बना दिया जा रहा है जाे गलत है।
सुप्रियो ने कहा कि मुकदमे महागंठबंधन (झामुमो, राजद, कांग्रेस) का ममेरा, चचेरा, फूफेरा भाई हैं।
भटटाचार्य ने कहा कि 2025 मई को आईआरसीटीसी केस में जो फाइनल आग्युमेंट को सीबीआई ने स्पेशल कोर्ट में समाप्त कर दी और सोमवार को चार्जशीट प्वॉइंट किया गया। उन्होंने कहा कि बिहार चुनाव में कार्यक्रम घोषित होने और आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद इस मामले में कार्रवाई यह दर्शाती है कि सीबीआई की कार्रवाई सही नहीं है। उन्होंने कहा कि देश के मुख्य चुनाव आयुक्त बहुत ज्ञानी हैं। चुनाव आयुक्त को समझना चाहिए कि चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है जिसके अपने कार्य क्षेत्र और अधिकार हैं। ऐसे में चुनाव आचार संहिता लागू होने के बाद इस तरह की कार्रवाई फैसला आना चिंताजनक है। उन्होंने कहा कि यह बिहार महागंठबंधन और इसके राजद के साथ अन्याय है।