Ranchi : दिवाली के त्योहार पर पटाखों से होने वाली आंखों की चोटों को लेकर एएसजी आई हॉस्पिटल ने एक सराहनीय पहल शुरू की है। अस्पताल ने घोषणा की है कि 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को यदि पटाखों से आंखों में चोट लगती है, तो उन्हें निःशुल्क परामर्श और जरूरत पड़ने पर सर्जरी की सुविधा दी जाएगी। यह सेवा 15 अक्टूबर से 24 अक्टूबर 2025 तक देशभर के सभी एएसजी आई हॉस्पिटल केंद्रों पर उपलब्ध होगी। अस्पताल की ओर से बताया गया है कि मरीजों को केवल फार्मेसी, एनेस्थीसिया और ऑप्टिकल सेवाओं की लागत खुद वहन करनी होगी, जबकि परामर्श और सर्जरी पूरी तरह निःशुल्क होगी।
पटाखों से बढ़ता खतरा
अस्पताल में मौजूद डॉक्टर जयंत ने कहा कि दिवाली के समय पटाखों से आंखों में चोट लगने की घटनाएं हर साल बढ़ जाती हैं। वर्ष 2023 के राष्ट्रीय आंकड़ों के अनुसार, देशभर में पटाखों से जुड़ी आंख की चोटों के 2,000 से अधिक मामले दर्ज हुए, जिनमें लगभग 60 प्रतिशत पीड़ित 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चे थे। इनमें से करीब 10 प्रतिशत बच्चों की दृष्टि स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त हो गई। विशेषज्ञों का कहना है कि त्योहारों के दौरान आपातकालीन नेत्र आघात के 20 प्रतिशत मामले पटाखों से संबंधित होते हैं। इनमें से लगभग 85 प्रतिशत मामलों में पुरुष या किशोर शामिल रहते हैं।
बच्चों की दृष्टि सुरक्षा के लिए शुरू की गई यह पहल
एएसजी आई हॉस्पिटल के प्रबंधन ने बताया कि यह पहल सामुदायिक कल्याण और बच्चों की दृष्टि सुरक्षा के लिए शुरू की गई है। इसका उद्देश्य लोगों को पटाखों के खतरों से आगाह करना और जरूरत पड़ने पर उन्हें उच्च गुणवत्ता की नेत्र चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराना है। एएसजी आई हॉस्पिटल भारत का दूसरा सबसे बड़ा सुपरस्पेशलिटी आई हॉस्पिटल चेन है और दुनिया में तीसरे स्थान पर है। अत्याधुनिक तकनीक और विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम के साथ यह संस्थान पूरे देश में उन्नत नेत्र चिकित्सा सेवाएं प्रदान करता है।

पटाखों से आंखों की सुरक्षा के लिए एएसजी आई हॉस्पिटल के सुझाव
- सुरक्षात्मक चश्मा पहनें – पटाखों को जलाते समय या उनके पास रहते हुए हमेशा सुरक्षा चश्मा या गॉगल्स का उपयोग करें।
- सुरक्षित दूरी बनाए रखें – पटाखे जलाते समय कम से कम 5-6 मीटर की दूरी रखें और खुले स्थानों में ही जलाएं।
- बच्चों पर निगरानी रखें – बच्चों को कभी भी बिना बड़ों की देखरेख के पटाखे नहीं जलाने दें।
- अवैध पटाखों से बचें – केवल प्रमाणित और पर्यावरण अनुकूल पटाखों का ही प्रयोग करें।
- हाथों में पटाखा न जलाएं – हमेशा लंबी अगरबत्ती या पंक का प्रयोग करें और जले हुए पटाखों के पास न जाएं।
- हाथ धोएं – पटाखे चलाने के बाद अपने हाथों को साबुन से धोएं ताकि रसायन आंखों में न जाएं।
- फूटे पटाखों को न छुएं – जो पटाखे नहीं फूटे हों, उन्हें उठाने की कोशिश न करें; उन्हें पानी में डाल दें।
- पानी या रेत पास रखें – किसी भी आकस्मिक आग या चोट की स्थिति में तुरंत उपयोग के लिए बाल्टी में पानी या रेत रखें।
- शराब से दूर रहें – पटाखे चलाने से पहले या दौरान शराब या नशे का सेवन न करें।
- चोट लगने पर तुरंत डॉक्टर से मिलें – आंख में चोट लगने पर उसे रगड़ें या धोएं नहीं, बल्कि तुरंत नेत्र विशेषज्ञ से परामर्श लें।
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