Johar Live Desk : देशभर में मोबाइल और वित्तीय धोखाधड़ी पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। अब तक लगभग 40 लाख सिम कार्ड ब्लैकलिस्ट किए जा चुके हैं। यह कार्रवाई AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) आधारित टूल के जरिए की जा रही है, जिसे दूरसंचार विभाग (DoT) द्वारा विकसित किया गया है।
कैसे पकड़े जा रहे हैं फर्जी सिम?
दूरसंचार विभाग ने टेलीकॉम कंपनियों और वित्तीय संस्थानों के साथ मिलकर फाइनेंशियल रिस्क इंडिकेटर (FRI) नामक एक AI टूल की मदद से संदिग्ध मोबाइल नंबरों की पहचान शुरू की है। यह टूल उन नंबरों को चिह्नित करता है जिनकी गतिविधियां सामान्य से अलग होती हैं जैसे असामान्य कॉलिंग पैटर्न या बार-बार की जाने वाली संदिग्ध लेन-देन।
इसके बाद ASTR प्लेटफॉर्म इन नंबरों की जानकारी टेलीकॉम कंपनियों को देता है, जो फिर इन नंबरों की दोबारा जांच (री-केवाईसी) करती हैं। अगर दस्तावेज फर्जी पाए जाते हैं, तो सिम तुरंत बंद कर दी जाती है।
क्यों लिया गया यह कदम?
जांच में पाया गया है कि स्कैमर्स नकली आधार कार्ड के जरिए एक ही पहचान पर कई सिम कार्ड लेते हैं और फिर इनका इस्तेमाल सिम-स्वैप, फिशिंग, ओटीपी चोरी और अन्य साइबर अपराधों में करते हैं। कई मामलों में एक ही पहचान पर 9 से ज्यादा सिम कार्ड पाए गए।
क्या है “संचार साथी” और ASTR?
“संचार साथी” सरकार की एक डिजिटल पहल है, जिसके तहत टेलीकॉम फ्रॉड की रोकथाम की जा रही है। ASTR (AI-संचालित टूल) की मदद से फर्जी नंबरों को ट्रैक किया जा रहा है और तुरंत कार्रवाई हो रही है।
आम लोगों के लिए क्या संदेश?
अपनी पहचान का इस्तेमाल सावधानी से करें।
किसी अनजान व्यक्ति को आधार या अन्य पहचान दस्तावेज शेयर न करें।
मोबाइल सिम से जुड़ी कोई भी संदिग्ध गतिविधि हो, तो तुरंत टेलीकॉम कंपनी से संपर्क करें।
समय-समय पर अपनी सिम की केवाईसी स्थिति जांचते रहें।
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