Ranchi : झारखंड भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष एवं नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने आज प्रेसवार्ता में राज्य सरकार पर बड़ा हमला किया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के कार्यकाल में गैंगस्टर अपराधियों और पुलिस प्रशासन के बीच गठजोड़ उजागर हुआ है, जिसे लेकर राज्य में गंभीर सुरक्षा और भ्रष्टाचार के सवाल खड़े हुए हैं।
मरांडी ने आरोप लगाया कि अवैध डीजीपी अनुराग गुप्ता की नियुक्ति हेमंत सरकार ने “गिव एंड टेक” फार्मूले के तहत की थी। उन्होंने कहा कि हेमंत सोरेन को अवैध बालू, कोयला, पत्थर और शराब के काले धन के कारोबार के लिए ऐसे अधिकारियों की जरूरत थी, जिनका अपराध और वर्दी वाला बैकग्राउंड टेस्टेड हो। अनुराग गुप्ता का नाम ऐसे ही अधिकारियों में आता है।
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि पूरा मामला भारत माला प्रोजेक्ट में वर्चस्व की लड़ाई और गैंगस्टर सुजीत सिन्हा के कोयलांचल शांति समिति से जुड़ा है। इस परियोजना में पेटी टेंडर, स्टोन चिप्स, जमीन दलाली और अन्य अवैध कारोबारों के जरिए नेटवर्क बनाया गया। अनुराग गुप्ता ने इस प्रोजेक्ट में अपनी 40% हिस्सेदारी सुनिश्चित करने के लिए सुजीत सिन्हा को चुना।

उन्होंने बताया कि गैंगस्टर अमन साहू का फर्जी एनकाउंटर भी इसी वर्चस्व की लड़ाई का हिस्सा था। सुजीत सिन्हा की पत्नी रिया सिन्हा की गिरफ्तारी के बाद व्हाट्सएप चैट में अनुराग गुप्ता और रिया सिन्हा के बीच पैसों के लेन-देन और रंगदारी वसूली का पूरा हिसाब-किताब सामने आया। इस चैट से यह भी स्पष्ट हुआ कि अनुराग गुप्ता ही कोयलांचल शांति समिति का किंगपिन है।
मरांडी ने बताया कि सुजीत सिन्हा जेल से ही कारोबारियों से रंगदारी मांगता था और प्रिंस खान के जरिए धमकाने का काम करता था। 13 अक्टूबर 2025 को रिया सिन्हा और अन्य को गिरफ्तार किया गया, जिनके पास से तीन पिस्टल, सात मैगजीन, 13 गोलियां, एक कार और मोबाइल बरामद हुए।
उन्होंने आरोप लगाया कि पाकिस्तान से ड्रोन के जरिए 21 विदेशी हथियार झारखंड लाए गए थे। सुजीत सिन्हा और प्रिंस खान ने देशभर में वसूली के लिए एक खतरनाक नेटवर्क बनाया था, जिसे रिया सिन्हा संभाल रही थी।
मरांडी ने कहा कि अनुराग गुप्ता दो विभागों सीआईडी और एसीबी के डीजी थे। सीआईडी में जमीन और अन्य मामलों की जांच के लिए एसआईटी बनाई जाती थी और लोगों को गुमनाम पिटीशन के जरिए लूटा गया। लूट और धमकियों का खेल इतना बढ़ गया कि मुख्यमंत्री से जुड़े लोग भी प्रभावित हुए।
उन्होंने बताया कि मामला सार्वजनिक होने पर कुछ अधिकारियों पर कार्रवाई की गई, जैसे कि दीपक कुमार को सीआईडी से हटाकर मोहनपुर कमांडेंट बनाया गया, और अंततः अनुराग गुप्ता को हटाया गया।
मरांडी ने सरकार पर जोर देकर कहा कि इस पूरे मामले की एनआईए से विस्तृत और उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए। उन्होंने मुख्यमंत्री से चुनौती दी कि अगर हिम्मत है तो अनुराग गुप्ता के कार्यकाल की जांच कराएं।

