Bokaro : गोमिया प्रखंड के ललपनिया स्थित पवित्र स्थल लुगुबुरू घंटाबाड़ी धोरोमगढ़ में सोमवार को राजकीय लुगुबुरू महोत्सव 2025 का शुभारंभ पूरे श्रद्धा और पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ हुआ। सुबह होते ही पूरा पर्वतीय इलाका “जय लुगुबाबा” के नारों और मांदर की थापों से गूंज उठा।
उद्घाटन समारोह में उपायुक्त अजय नाथ झा, पुलिस अधीक्षक हरविंदर सिंह, नायके बाबा, और आयोजन समिति के अध्यक्ष बबली सोरेन ने पूजा-अर्चना कर तीन दिवसीय इस महोत्सव का विधिवत उद्घाटन किया। भक्तिमय वातावरण में सैकड़ों श्रद्धालु मौजूद रहे, जिन्होंने आराधना में भाग लेकर आशीर्वाद प्राप्त किया।
महोत्सव के पहले ही दिन श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। लगभग दस हजार से अधिक श्रद्धालु लुगु पहाड़ पर लुगुबाबा के दर्शन के लिए पहुंचे। पारंपरिक परिधानों में सजे भक्त गीत-संगीत गाते और नृत्य करते हुए श्रद्धा भाव से पहाड़ की ओर बढ़ते नजर आए। श्रद्धालुओं का कहना था कि लुगुबाबा हमारे पुरखों और धर्म के रक्षक हैं, और यहां आकर मन को शांति और आत्मा को शक्ति मिलती है।

यह आयोजन केवल पूजा-अर्चना तक सीमित नहीं है, बल्कि यह झारखंड की आदिवासी संस्कृति, परंपरा और सामूहिक एकता का उत्सव भी है। सांताली और अन्य जनजातीय समुदायों के लोगों ने पारंपरिक नृत्य, गीतों और लोक कलाओं के माध्यम से अपनी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का प्रदर्शन किया। लुगुबुरू महोत्सव हर साल उस जीवंत संस्कृति को सामने लाता है जो झारखंड की पहचान है।
श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा के लिए प्रशासन ने इस बार विशेष इंतज़ाम किए हैं। पूरे क्षेत्र में सफाई, पेयजल, प्रकाश व्यवस्था, खिचड़ी सेवा और स्वास्थ्य शिविर की व्यवस्था की गई है। बोकारो और गोमिया रेलवे स्टेशन से लुगुबुरू स्थल तक श्रद्धालुओं के लिए नि:शुल्क बस सेवा भी चलाई जा रही है। प्रशासन की ओर से टेंट सिटी तैयार की गई है, जहां श्रद्धालु ठहर सकते हैं।
उपायुक्त अजय नाथ झा ने कहा कि लुगुबुरू महोत्सव हमारी मिट्टी की खुशबू और संस्कृति की आत्मा है। यह पर्व न केवल झारखंड की आस्था को सशक्त करता है, बल्कि इसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पहचान भी दिलाता है। वहीं, पुलिस अधीक्षक हरविंदर सिंह ने बताया कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए पूरे क्षेत्र में पुलिस बल की तैनाती की गई है। ड्रोन और सीसीटीवी कैमरों से निगरानी रखी जा रही है, ताकि हर श्रद्धालु सुरक्षित और शांतिपूर्ण तरीके से दर्शन कर सके।
जो श्रद्धालु इस बार स्थल तक नहीं पहुंच पाए हैं, उनके लिए महोत्सव का सीधा प्रसारण Jhargov.tv, YouTube और Facebook पर किया जा रहा है। देश-विदेश में बसे लाखों लोग ऑनलाइन माध्यम से भी पूजा और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों का आनंद ले रहे हैं।
लुगुबुरू घंटाबाड़ी धोरोमगढ़ को सांताली समाज का सबसे पवित्र तीर्थ माना जाता है। यह स्थान धरती, जल, जंगल और जन के बीच के अटूट रिश्ते का प्रतीक है। यहां हर साल हजारों श्रद्धालु जुटकर प्रकृति, धर्म और संस्कृति के इस अनोखे संगम का उत्सव मनाते हैं। यही कारण है कि यह पर्व झारखंड की उस आदिवासी आत्मा को दर्शाता है जिसमें प्रकृति ही ईश्वर है और लुगुबाबा उसका साकार रूप।
इस अवसर पर जिला प्रशासन, अनुमंडल और प्रखंड के कई पदाधिकारी एवं समाज के प्रतिनिधि उपस्थित रहे और महोत्सव की सफलता की शुभकामनाएं दीं।

