Pakur : पाकुड़ जिले के ग्वालपाड़ा सहित कई ग्रामीण इलाकों में भैया दूज के मौके पर गोबर से जाम दूत बनाने की प्राचीन परंपरा आज भी जीवित है। बहनों ने पारंपरिक रीति से गोबर की मानवाकृति “जाम दूत” तैयार कर उसकी पूजा-अर्चना की।
स्थानीय मान्यता है कि भैया दूज के दिन बहनें गोबर का जाम दूत बनाकर उसे तिलक, अक्षत, दूब, धागा और दीपक से पूजा करती हैं। इससे भाई की आकस्मिक मृत्यु, बीमारी और हर प्रकार की विपत्ति से रक्षा होती है। कहा जाता है कि इससे यमराज और उसके दूत भाई के पास नहीं आते।
सुबह-सुबह बहनों ने अपने घर के आंगन को साफ-सुथरा किया और गाय के गोबर से जाम दूत बनाया। इसके बाद पूजा की गई और भाई की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए संकल्प लिया गया। पूजा के बाद भाइयों को तिलक लगाया गया, मिठाई दी गई और दुआएं मांगी गईं। घरों में पारंपरिक व्यंजन बनाए गए और पूरे वातावरण में त्योहार की खुशियाँ छाई रहीं।

स्थानीय पंडितों का कहना है कि यह परंपरा सदियों पुरानी है और इसका उद्देश्य भाई की सुरक्षा और आयु बढ़ाना है। जहां शहरों में यह प्रथा धीरे-धीरे खत्म होती जा रही है, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में यह लोकधर्म की एक महत्वपूर्ण पहचान के रूप में आज भी प्रचलित है।
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