Ranchi : रांची में इस बार दीपावली को लेकर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने सख्त निर्देश जारी किए हैं। इन निर्देशों के मुताबिक सिर्फ 125 डेसिबल से कम आवाज़ वाले पटाखों की ही बिक्री और इस्तेमाल की अनुमति दी गई है। साथ ही, पटाखे जलाने का समय भी सीमित कर दिया गया है रात 8 बजे से 10 बजे तक ही लोग पटाखे चला सकेंगे। पर्यावरण की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यह नियम लागू किया गया है।
लेकिन ज़मीनी हकीकत इससे बिल्कुल अलग नज़र आ रही है। रांची के बाजारों में इस बार भी तेज आवाज़ और भारी वायु प्रदूषण करने वाले पटाखे खुलेआम बिक रहे हैं। हाइड्रो बम, सेलिब्रेशन टाइम, लाइट ऑफ थंडर और फ्लैश जैसे पटाखे, जिनकी आवाज़ 125 डेसिबल से कहीं ज्यादा है, बड़ी मात्रा में उपलब्ध हैं। कुछ पटाखों की आवाज़ तो 140 डेसिबल से भी ऊपर जाती है। विक्रेताओं का कहना है कि इन पटाखों का इस्तेमाल रावण दहन और भारी भीड़ वाले आयोजनों में किया जाता है, जहां “जोरदार” ध्वनि की मांग होती है।
इनमें से कुछ पटाखों की कीमतें ₹1800 से लेकर ₹4000 तक हैं। जैसे ‘लाइट ऑफ थंडर’ नाम का पटाखा ₹4000 में बिक रहा है जो आसमान में जाकर आकाशीय बिजली जैसी तेज़ आवाज़ करता है और बड़ा क्षेत्र धुएं से भर देता है। ऐसे पटाखे न सिर्फ शोर करते हैं बल्कि पर्यावरण को भी भारी नुकसान पहुंचाते हैं।

प्रदूषण नियंत्रण विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि अगर कोई व्यक्ति इन नियमों का उल्लंघन करता है तो उसके खिलाफ वायु प्रदूषण (निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1981 की धारा-37 और अन्य कानूनी प्रावधानों के तहत कड़ी कार्रवाई की जा सकती है। साथ ही यह अपील भी की गई है कि पटाखे जलाते समय बच्चों के साथ अभिभावकों की मौजूदगी जरूरी हो, ताकि कोई हादसा न हो।
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